उतराखंड: जान बचाने में जुटे जवान, भूकंप ने भी हिलाया
देहरादून। विषम परिस्थितियों के बीच केदारनाथ में बाकी शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी प्रशासन कर रहा है। इसी बीच पिथौड़ागढ़ के आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.5 थी जिससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि प्राकृतिक आपदा झेल रहे उत्तराखंड वासियों के लिए यह खौफनाक रहा।
इससे पहले, बुधवार को वहां 18 शवों का दाह संस्कार कर दिया गया था। आइटीबीपी के डीआजी ने कहा कि केदारघाटी में बचाव व राहत कार्य पूरा हो गया है। गुरुवार दोपहर को आइटीबीपी का बचाव दल वापस लौट आए। वहीं, रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे कई स्थानों से बंद होने के कारण इस मार्ग से जुड़े करीब डेढ़ सौ से अधिक गांवों में खाद्यान्न संकट बना हुआ है। वहीं उत्तरकाशी के हर्षिल व बदरीनाथ में फंसे लोगों को निकालने के लिए हेली रेस्क्यू अभियान सुबह से शुरू हो गया।
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड हाईवे कई स्थानों पर बंद है। इस मार्ग से सटे करीब 150 से अधिक गांवों में राशन का संकट पैदा हो गया है। अब प्रशासन ऐसे गांवों में खाद्यान्न पहुंचाने की तैयारी में है। वहीं चमोली जनपद में बदरीनाथ में फंसे करीब चार हजार से अधिक लोगों को हेलीकाप्टर के साथ ही पैदल रास्तों से निकाला जा रहा है। साथ ही सडक़ों से कटे गांवों में खाद्यान्न भी पहुंचाने का काम चल रहा है।
उत्तरकाशी में सुबह से ही मौसम साफ होने पर गंगोत्री रूट में हर्षिल व धराली में फंसे करीब तीन सौ लोगो को निकालने का काम सुबह से शुरू हो गया। उत्तरकाशी से आगे गंगोत्री हाईवे अभी भी करीब आठ स्थानों पर बंद है। यमुनोत्री मार्ग हनुमान चंट्टी से आगे यमुनोत्री तक पांच किलोमीटर तक अवरुद्ध है। हालांकि यमुनोत्री मार्ग में कोई भी यात्री नहीं फंसा है। इसके बावजूद इन दोनों मार्ग पर पडऩे वाले गांवों में खाद्यान्न की समस्या पैदा हो गई है। ऐसे गांवों में मदद के लिए प्रशासन ने दस राहत शिविर बनाए हैं। इन शिविरों में हेलीकाप्टर से खाद्यान्न पहुंचाकर प्रभावितों को बांटा जाएगा। उत्तरकाशी के करीब तीस लिंक मार्ग अभी भी अवरुद्ध हैं।
उत्तराखंड में सुबह से मौसम खराब है। देहरादून समेत सूबे के कई हिस्सों में बारिश हो रही है। हालांकि रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में मौसम साफ होने के बाद बचाव अभियान शुरू हो चुका है। बदरीनाथ में छह हेलीकाप्टर की मदद से बचाव अभियान चलाया जा रहा है। बदरीनाथ में करीब साढ़े तीन हजार लोग अभी भी फंसे हैं। लामबगड़ में अलकनंदा पर अस्थायी पुल बनने से कई यात्री अब पैदल ही जोशीमठ रवाना हो गए। उत्तरकाशी में सात हेलीकाप्टर गंगोत्री के पास हर्षिल में फंसे यात्रियों को निकालने में जुटे हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार आज सभी 500 यात्री हर्षिल से निकाले जा सकते हैं। केदारनाथ में शवों का अंतिम संस्कार हो सकता है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलों में सेना का तलाशी अभियान जारी है।
हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई शहादत पर सेवा के जबे को ऊपर रखते हुए वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने एलान किया कि उत्तराखंड में राहत कार्य रुकेगा नहीं। ऊंचे मनोबल के साथ वायुसेना कर्मी राहत कार्य में लगे रहेंगे। मौसम खराब होने के बावजूद बदरीनाथ और गंगोत्री के नजदीक हर्षिल में फंसे लोगों को निकालने का कार्य जारी रहा।
वहीं सेना, आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस), एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा राहत बल) और बीआरओ (सीमा सडक़ संगठन) के जवान हर संभव तरीके का इस्तेमाल करके खतरनाक स्थानों पर फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। इन संगठनों ने करीब एक लाख लोगों को आपदाग्रस्त क्षेत्र से निकाला है। बुधवार को बदरीनाथ में फंसे तीर्थ यात्रियों को निकालने के लिए छह हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई और 500 लोग निकाले। 780 लोगों को पैदल मार्ग से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। उत्तरकाशी में हर्षिल से सात हेलीकॉप्टरों के जरिये 527 से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। भूस्खलन से बंद बदरीनाथ और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात शुरू हो गया है। सेना और सीमा सडक़ संगठन (बीआरओ) बदरीनाथ-जोशीमठ पैदल मार्ग पर ध्वस्त पुल के स्थान पर अस्थाई पुल बनाने में जुट गया है।
बताया जा रहा कि इससे पैदल मार्ग से यादा लोगों को निकाला जा सकेगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बदरीनाथ और हर्षिल से दो दिन में सभी लोगों के निकाले जाने की संभावना जतायी है। साथ ही प्रदेश सरकार आपदाग्रस्त इलाकों में महामारी फैलने के खतरे से निपटने के लिए सारे कदम उठा रही है।
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