विधेयकों के लटकने से राज्यसभा की प्रासंगिकता पर उठे सवाल
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर विवाद होना और सवाल उठना स्वाभाविक है। इस मसले ने एक बार फिर राज्यसभा की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत जिस तरह की शर्मनाक घटनाएं घट रही हैं, इसमें आम आदमी पार्टी के द्वारा राज्यसभा सदस्य बनाने की स्थितियों ने एक दाग और जड़ दिया है। इस तरह की शर्मनाक स्थितियों की वजह से लोगों की आस्था संसदीय लोकतंत्र के प्रति कमजोर होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र के मूल्यों के साथ हो रहे खिलवाड़ की वजह से भविष्य का चित्र संशय से भरपूर नजर आता है। मूल्यहीनता की चरम सीमा पर पहुंचकर राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग विचारधारा एवं नाम का वर्गीकरण रखते हुए भी राष्ट्रीय हित की उपेक्षा करने के मामले में एक जैसी हैं।
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