पर्वतारोहण संस्थान ने बचाई 6500 लोगों की जान
उत्तरकाशी- नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी ने आपदा में फंसे लोगों को बचाने के लिए अनूठा प्रयोग करके 46 विदेशी नागरिकों सहित 6,500 लोगों को बचाकर मानक स्थापित किया है।
पर्वतारोहण, शोध और बचाव कार्य में युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे इस संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि उन्होंने आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए 100 स्थानीय युवक और युवतियों को जोड़ा और उन्हें प्रशिक्षण देकर अपने संस्थान के कर्मचारियों के साथ तत्काल राहत और बचाव कार्य के लिए 5 टोलियों में प्रभावित क्षेत्रों में भेज दिया।
उन्होंने बताया कि यह अनूठा प्रयोग साबित हुआ है। इस प्रयोग से बड़ा फायदा यह हुआ कि इन युवाओं को प्रभावित गांवों तक पहुंचने के कचे और पंगडंडी वाले रास्ते मालूम थे। सडक़ और प्रचलित मार्ग ध्वस्त होने के कारण जिन गांवों तक पहुंचना असंभव था इन युवाओं ने राहत और बचाव दल को वहां पहुंचाया। राहत और बचाव में इन युवाओं की ऊर्जा का पूरा इस्तेमाल हुआ।
उन्होंने कहा कि उनके इस प्रयोग की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उनके दल को जिले के दूरस्थ डिडसारी गांव में 46 विदेशियों के फंसे होने की ग्रामीणों से खबर मिली। इस गांव तक पहुंचने के सभी रास्ते टूटे हुए थे। युवकों का एक दल मनेरी से आधी रात को पगडंडियों से चलकर करीब 7 घंटे बाद इस गांव पहुंचा और उन्होंने इन विदेशियों को वहां से निकालने के लिए अभियान की शुरुआत की।
उन्होंने बताया कि फंसे हुए विदेशी नागरिकों के इस दल में कुल 46 लोग शामिल थे। इन पर्यटकों में 28 महिलाएं और 7 प्रवासी भारतीय थे। फंसे विदेशी सैलानियों में अमेरिका के 20 नागरिकों के साथ ही कैनेडा , ऑस्ट्रिया, ब्राजील, डेनमार्क, इक्वाडोर, कोलंबिया सहित कई देशों के नागरिक शामिल थे।
कर्नल कोठियाल ने बताया कि उनका संस्थान पर्वतारोहण के साथ ही आपदा के समय भी अहम भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि पर्वतारोहण अभियान के दौरान जो लोग फंसते हैं उन्हें निकालने के लिए संस्थान के प्रशिक्षित लोग तैयार रहते हैं और इस बार जब जिले में आपदा आई तो उनके संस्थान के लोगों ने इस हुनर का परिचय दिया और विशेषकर स्थानीय युवकों को जोडक़र पीड़तिों तक पहुंचने के लिए अनूठा प्रयोग किया है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय युवक और युवतियां स्थानीय रास्तों से परिचित होते हैं और आपदा के समय उनका यह ज्ञान राहत और बचाव कार्य के लिए मील का पत्थर साबित होता है।
Comments are closed.