राहुल गांधी की जिम्मेदारी बढ़ रही है, उन्हें और गंभीर होना पड़ेगा
राहुल गांधी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की सबसे पुरानी पार्टी के सबसे बड़े पद पर हैं। एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष के तौर पर किए जाने वाले आचरण को उन्हें समझ लेना चाहिए। उनके नेतृत्व में, गुजरात चुनाव के बाद पार्टी अपने पराभव को पार करके पराक्रम के साथ आगे बढ़ रही है, और जब पूरी पार्टी अचानक आत्मविश्वास अर्जित करने लगी है तो उन्हें समझना चाहिए कि जो अचानक मिलता है, उसके अचानक खोते भी देर नहीं लगती। उनके लिए फिलहाल वक्त बहुत नाजुक है। ऐसे वक्त में उन्हें अपने दिल पर काबू रखकर विदेश दौरों के समय को सूझबूझ के साथ संयोजित करना होगा। हमने देखा है कि बीते कुछ वक्त से अपने इतिहास के सबसे विकट और विकराल वक्त से गुजर रही कांग्रेस की गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर लौट रही है। लेकिन राज्यसभा में उसकी सीटें सबसे कम होने जा रही हैं। पूर्वोत्तर में पार्टी की पतवार ही टूट रही है। कर्नाटक के सीएम राज्यसभा उम्मीदवारों पर पार्टी के फैसलों को वापस लौटाकर दिल्ली भेज रहे हैं। पार्टी के सबसे बड़े वकील नेता का बेटा सलाखों के पीछे है। और राष्ट्रीय नेतृत्व पूरे मामले को नौटंकी की तरह निहारता रहे, यह कांग्रेस में कभी नहीं हुआ। लेकिन अब हो रहा है। फिर संसद का सत्र भी सजा हुआ है। और ऐसे में विदेश यात्रा ?
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