स्नोडेन के राजनीतिक शरण के अनुरोध को भारत ने ठुकराया
वाशिंगटन। अमेरिकी जासूसी कारनामों को उजागर करने वाले सीआइए के पूर्व अधिकारी एडवर्ड स्नोडेन ने भारत समेत 20 देशों से राजनीतिक शरण मांगी है। स्नोडेन मामले में विकीलीक्स की कानूनी सलाहकार सारा हैरिसन ने उनकी ओर से इस संबंध में आवेदन किया है। हालांकि भारत ने एडवर्ड स्नोडेन की इस याचिका को अस्वीकार कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि स्नोडेन के भारत में राजनीतिक शरण की अपील को अस्वीकार कर दिया गया है।
विकीलीक्स ने मंगलवार को एक बयान में बताया है कि 30 जून को सारा हैरिसन ने स्नोडेन की ओर 20 देशों को आवेदन सौंपे हैं। इससे पहले पहले इक्वाडोर और आइसलैंड से राजनीतिक शरण की मांग की गई थी।
आवेदन देर शाम मॉस्को में शेरमेत्येवो हवाई अड्डे पर रूसी वाणिय दूतावास में एक अधिकारी को दिए गए। इसके साथ ही इसमें ऐसे संबंधित दस्तावेजों को भी जोड़ा गया है, जिनमें स्नोडेन को अमेरिका में उत्पन्न होने वाले खतरों का जिक्र किया गया है। ये आवेदन रूसी वाणिय दूतावास द्वारा मास्को में संबंधित देशों के दूतावासों को भेजना शुरू कर दिया गया है।
इस संबंध में भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, बोलिविया, ब्राजील, चीन, क्यूबा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, आयरलैंड, नीदरलैंड, निकारागुआ, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, वेनेजुएला, स्विट्जरलैंड, वेनेजुएला को आवेदन दिया गया है।
गौरतलब है कि ओबामा प्रशासन ने पहले ही सभी देशों को चेतावनी दी है कि स्नोडेन को कोई भी देश शरण न दे, क्योंकि वह जासूसी तथा गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के आरोप में अमेरिका में वांछित हैं।
अमेरिका ने सोमवार को कहा था कि स्नोडेन का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई होगी और वह बतौर अमेरिकी नागरिक अपने सभी अधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है।
विदेश विभाग की प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने कहा कि स्नोडेन के लिए हम एकल प्रवेश यात्रा दस्तावेज जारी करने को तैयार हैं। वह अभी भी एक अमेरिकी नागरिक हैं और उन्हें अपने ऊपर लगे आरोपों की निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई करवाने का पूरा हक है। उन्होंने साथ ही कहा कि उनका एक देश है, जिसमें उन्हें लौटना होगा और वह अमेरिका है।
पिछले माह गोपनीय सूचनाओं से भरा लैपटॉप लेकर हांगकांग निकल भागने से पहले 30 वर्षीय स्नोडेन सीआइए के लिए काम करते थे। ऐसा माना जा रहा है कि वह 23 जून को हांगकांग से लौटने के बाद से इस समय मॉस्को हवाई अड्डे के ट्रांजिट जोन में हैं।
पिछले माह स्नोडेन द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों से अमेरिकी खुफिया एजेंसी दुनियाभर में बड़े पैमाने पर फोन कॉल्स की निगरानी किए जाने और इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखे जाने का खुलासा हुआ है।
लीक दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय दूतावास ऐसे 38 राजनयिक मिशनों की सूची में है, जिनकी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा जासूसी की जा रही है।
स्नोडेन ने सोमवार को पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए ओबामा प्रशासन को धमकी दी है कि यदि उन्हें राजनीति शरण से वंचित रखने की कोशिश की गई तो वह खुफिया गतिविधियों से जुड़े और दस्तावेजों को सार्वजनिक कर सकता है। स्नोडेन ने ओबामा पर निशाना साधते हुए कहा, एक वैश्विक नेता को इस तरह की हरकत शोभा नहीं देती। ये राजनीतिक दादागिरी के पुराने और घटिया हथकंडे हैं। उनका मकसद मुझे डराना नहीं, बल्कि मेरा साथ देने वालों को प्रताडि़त करने का है।
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