पीसी सरकार के काउन्सिल कटौती बिल के पुन: पेश के प्रस्ताव पर भड़का विपक्ष

भारी हंगामे को देखते हुए एस्कॉर्टस द्वारा चैम्बर से बाहर निकाले गए एमपीपी
टोरंटो। फोर्ड सरकार द्वारा काउन्सिल कटौती बिल में संशोधन के पश्चात पुन: पेश करने का प्रस्ताव सुनते ही टोरंटो सिटी हॉल में दोबारा तहका मच गया, गौरतलब हैं कि प्रीमियर ने अधिकारिक रुप से इस बिल को नॉटवीथस्टेंडिग क्लॉज के रुप में पेश करने के लिए अपनी मंशा जाहिर की। जिसके पश्चात विपक्ष में बैठे एनडीपी के एमपीपी ने इसका भारी विरोध किया और इसके लिए विधानसभा में वे डेस्क बजाने लगे, जिसपर एस्कॉर्टस द्वारा उन्हें विधानसभा चैम्बर से बाहर निकालना पड़ा। नए बिल के लिए सरकार स्थानीय सरकार अधिनियम या बिल 31 पेश करने जा रही हैं, ज्ञात हो कि काउन्सिल उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि में अब बस दो दिन शेष हैं, जिसके उपरांत इस प्रकार की कटौती आदि का कोई भी प्रस्ताव नहीं पारित किया जा सकता, जिसके लिए सिटी क्लर्क को पूरा ब्यौरा देना होगा और इसके लिए अग्रिम में मतदान प्रक्रिया को आरंभ करना होगा यदि आवश्यकता हुई तो। नगरपालिका कार्यक्रम मंत्री स्टीव क्लार्क ने कहा कि प्रीमियर और मैनें इस प्रस्ताव के लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली थी, परंतु कोर्ट के आदेश के कारण हमारे सभी कार्यक्रम बेकार हो गए, जिसका हमें भारी खेद हैं। इसको नया रुप देने के लिए हमें चार्टर की धारा 33 की प्रार्थना शामिल की हैं, जिसके लिए प्रीमियर ने विधानसभा में अपनी मंशा जाहिर की। उन्होंने आगे कहा कि मै एक संसदीय मंत्री हूं, और हमें पूरा ज्ञान है कि कोई भी काउन्सिल को किस प्रकार चलाना हैं और प्रांत के लिए किस योजना में अधिक लाभ हैं और किस योजना में नुकसान इसलिए विपक्ष द्वारा इस प्रकार भड़कना उचित नहीं। प्रांत के नए निर्माण कार्यों के लिए सरकार को अधिक से अधिक धन की आवश्यकता हैं जिसके लिए हमने कटौती योजनाएं बनाई और अब इसे कार्यन्वित करने से ही निर्माण योजनाओं को साकार रुप दिया जा सकेगा, जिसका प्रत्यक्ष लाभ जनता को होगा और देश व प्रांत दोनों का विकास भी होगा। प्रवक्ता टेड आर्नोट ने बताया कि संसद में भारी हंगामे के कारण एस्कॉर्ट को प्रत्येक एमपीपी व्यवस्थित करने के निर्देश दिए गए, पार्टी के चयनित 40 एमपीपी में से उन्होंने 34 एमपीपी को चैम्बर से बाहर किया। वहीं दूसरी ओर विपक्षी नेता एंड्रीया हॉरवथ ने कहा कि इतने हंगामे के मध्य भी फोर्ड ने कोई उत्तर नहीं दिया जिसके लिए उन्हें भारी आश्चर्य हो रहा हैं, चैम्बर से एमपीपी को बाहर निकालना बहुत निदंनीय कार्य हैं, जिसके लिए सत्ताधारी सरकार को क्षमा याचना करनी चाहिए, इस बिल को पारित करने से पूर्व इस पर गहन चर्चा अति आवश्यक हैं, तभी लोकतंत्र का सच्चा सम्मान हो सकेगा।
इस पूरे प्रकरण पर एटॉर्नी जनरल ने कहा कि चुनाव काल में इस प्रकार के प्रस्ताव उचित नहीं इसके लिए पर्याप्त समय को देखते हुए गहन चर्चा व परामर्श के पश्चात ही इसे पारित करना होगा। इस प्रकार जल्दबाजी में पारित किए किसी भी निर्णय के लिए कोई भी पार्टी तैयार नहीं और यह कार्य असंवैधानिक करार दिया जा सकता हैं।
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