मिसिसॉगा की जनसंख्या में 57 प्रतिशत लोग अल्पसंख्यक

– क्षेत्र के लिए अल्पसंख्यक पार्षद नियुक्त करने की मांग हुई तेज
– इस बार के चुनावों का मुख्य मुद्दा स्थानीय क्षेत्र की जनसंख्या के अनुरुप ही पार्षद के चयन का भी हो सकता है
मिसिसॉगा। साफिया फारुकी मिसिसॉगा से नगरपालिका चुनाव में उम्मीदवार के रुप में खड़ी हुई हैं, उन्होंने कहा कि 22 अक्टूबर को वार्ड 4 से यदि वह जीतती हैं तो यह राज्य में एक नए युग का आरंभ होगा, इससे न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि अश्वेत उम्मीदवारों को भी एक नया उत्साह मिलेगा। अपने प्रचार कार्यालय के उद्घाटन में उन्होंने पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2016 की जनगणना में मिसिसॉगा में 57 प्रतिशत लोग अल्पसंख्यक सत्यापित हुए, इस कारण से यह स्पष्ट होता हैं कि यहां का पार्षद भी उन्हीं के बीच का होना चाहिए, जो उनकी समस्याओं को समझे और पहचाने। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि वर्ष 2014 के चुनावों में सिटी की 11 पार्षद सीटों पर एक भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं जीता। यद्यपि पड़ोसी राज्य ब्रैम्पटन में 73 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यक हैं, जिसके 10 पार्षदों में केवल एक पार्षद अश्वेत हैं जिसपर बहुत अधिक हैरानी होती हैं।
क्या हैं मामला :
फारुकी ने कहा कि काउन्सिल की विविधता के कारण अभी तक इस विषय पर कोई भी रणनीति नहीं बन सकी हैं और न ही सिटी की विविध जनसंख्या इस बारे में कोई सटीक फैसला ले सकी हैं, गौरतलब हैं कि आज तक इस निर्णय पर किसी को कोई प्रभाव नहीं पड़ा हैं।
वहीं दूसरी ओर ब्रैम्पटन से चुने गए एकमात्र पार्षद गुरप्रीत सिंह ढिल्लन ने भी बहुत अधिक मेहनत व प्रयास से इस पद को हासिल किया, प्रारंभ में उन्हें अपनी बात मुख्य नगरपालिका कमेटी तक पहुंचाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा, एक घटना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जब सबसे पहले ढिल्लन ने स्थानीय वृद्ध लोगों के लिए क्षेत्र में विलो ट्री लगवाने का परामर्श दिया तो उनके साथ के पार्षदों को यह बात समझ ही नहीं आई और इसके लिए उन्होंने एक बार मना कर दिया, परंतु जब ढिल्लन ने उन्हें इसके लाभ बताएं तो वे इस कार्य के लिए मान गएं, जिससे पता चलता हैं कि स्थानीय लोगों की समस्या को उनके बीच का उम्मीदवार ही समझ सकता हैं। इन्हीं उदाहरणों से फारुकी चाहती हैं कि इस बार मिसिसॉगा के वार्ड 4 की जनता उन्हें चुनें और अपने स्थानीय निवासी की सेवा का लाभ प्राप्त कर सके।
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