माइग्रेशन ने तोड़ा कनेडियन इमीग्रेशन का सपना
अमृतसर – कनेडियन इमीग्रेशन हासिल करने की इछुक नर्सिग की छात्राएं माइग्रेशन के चक्कर में उलझ गई हैं। माइग्रेशन सर्टिफिकेट न मिलने से नर्सिग की छात्राओं में निराशा का आलम है। कैनेडा में इस समय नर्सिग से जुड़ी छात्राओं की भारी मांग हैं व इन्हें पहल के आधार पर कैनेडा की परमानेंट रेजीडेंसी मिल जाती है। कैनेडा की दूसरी राष्ट्रीय भाषा फ्रेंच का डिप्लोमा हासिल करने वाली छात्राओं को तो आसानी से पीआर मिल जाती है। इसलिए अमृतसर व इसके आसपास के क्षेत्रों में बीएससी नर्सिग की पढ़ाई करने वाली छात्राएं जीएनडीयू के विदेशी भाषा विभाग में फ्रेंच डिप्लोमा में दाखिला लेती हैं। एक साथ डिग्री व पार्ट टाइम डिप्लोमा करने का प्रावधान यूजीसी ने दिया है।
दो यूनिवर्सिटीयों के बीच फंसी छात्राएं
पहले अमृतसर, जालंधर, गुरदासपुर, कपूरथला व तरनतारन जिलों के कालेजों में बीएससी नर्सिग करने वाली छात्राओं को डिग्री जीएनडीयू प्रदान करती थी। लेकिन अब यह डिग्री बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंस फरीदकोट द्वारा दी जाती है। ऐसे में छात्राएं भले ही नर्सिग की पढ़ाई अमृतसर में कर रही हैं लेकिन उनका संबंध अब जीएनडीयू की बजाए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी से जुड़ गया है।
जीएनडीयू के विदेशी भाषा विभाग के मुखी प्रो. मोहन कुमार का कहना है कि फ्रेंच डिप्लोमा में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों में नर्सिग की पढ़ाई करने वालों की संख्या यादा होती थी। लेकिन अब जो छात्राएं नर्सिग की पढ़ाई कर रही हैं उन्हें बाबा फरीद यूनिवर्सिटी से माइग्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी है जो उन्हें पढ़ाई के दौरान नहीं मिल सकता। जब तक माइग्रेशन सर्टिफिकेट नहीं मिलता तब तक वह जीएनडीयू में दाखिला नहीं ले सकती। ऐसे में केवल उन्हीं छात्राओं को दाखिला मिला है तो नर्सिग की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं।
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