कार्बन टैक्स मुद्दे पर फोर्ड के दिए बयान पर उठा बवाल
– समीक्षकों द्वारा फोर्ड को इसे आर्थिक मंदी से जोड़ने का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया
– विपक्ष ने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन को रोकने का इससे सरल उपाय बताएं डाग फोर्ड
– परिस्थिति बिगड़ते देख प्रीमियर डाग फोर्ड ने रखा अपना बचाव पक्ष
टोरंटो। कुछ दिन पूर्व जहां प्रीमियर डाग फोर्ड कार्बन टैक्स को लागू करने से देश में आर्थिक मंदी होने की बात कह रहे थे, वहीं अब इसे वित्तीय भूचाल का नाम दिया जा रहा हैं, ज्ञात हो कि पिछले दिनों फोर्ड ने एक वित्तीय सम्मेलन में यह माना था कि यदि केंद्र सरकार की कार्बन टैक्स नीति को अपनाया जाता हैं तो इससे देश में बेरोजगारी फैलेगी और उत्पादन में भारी कमी आएंगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी और देश आर्थिक मंदी में प्रवेश कर जाएगा, जिससे उबरना बहुत अधिक कठिन होगा। परंतु जानकारों और अर्थशास्त्रियों का मानना हैं कि फोर्ड ने यह संबोधन केवल राजनीति से प्रेरित होकर दिया हैं इसमें कोइ्र भी तथ्य सत्य नहीं हैं, इस टैक्स की बढ़ोत्तरी केवल लोगों को जागरुक करने के लिए बनाई गई हैं और यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो लोग कार्बन उत्सर्जन पर कभी भी कमी नहीं कर पाएंगे और जलवायु-परिवर्तन का महाप्रकोप देखने को मिलते रहेंगे। इस कारण से सरकार ने केवल अधिक मूल्य के टैक्सों के भय से लोग कार्बन उत्सर्जन को रोकें यहीं कामना जताई, जिसे फोर्ड ने लोगों के सामने तोड़-मरोड़कर पेश किया और उन्हें भ्रमित करने का प्रयास किया, यदि ऐसा होता हैं तो इसके साक्ष्य प्रस्तुत करें, तभी फोर्ड के कथन पर विश्वास करना संभव होगा। अपने कथन से मुकरते हुए फोर्ड ने माना कि उनके कहने का अर्थ दूसरा था, वह यह बताना चाह रह थे कि इससे आर्थिक भूचाल पैदा होगा और बेरोजगारी की समस्या और अधिक होगी, जिसपर नियंत्रण प्राप्त करना जटिल होगा। एनडीपी के जलवायु परिवर्तन समीक्षक पीटर टैबन्स ने माना कि फोर्ड ने अपने पिछले छ: महीने के कार्यकाल में केवल टैक्सों में कटौती की हैं और किसी भी प्रकार की नई आर्थिक योजना तैयार नहीं की हैं जिससे प्रांत में विकास की गति रुकी हुई हैं, प्रीमियर को जल्द ही इस ओर ध्यान देना होगा अन्यथा वैसे ही विकास रुका हुआ हैं, जल्द ही आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ने लगेगा।
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