सिकनेस लाभार्थी आर्थिक सहायता मिलने के पश्चात भी नहीं लौट रहे काम पर

– सरकारी सर्वे के अनुसार यह बात स्पष्ट की गई कि आधे से अधिक सिकनेस लाभ प्राप्त करने वाले कर्मचारी पिछले 15 सप्ताह से अधिक समय से अपने कार्यों पर वापस नहीं लोटे
औटवा। आंतरिक सरकारी सर्वे द्वारा अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि केंद्रीय सिकनेस लाभ प्राप्त करने वाले कर्मचारी आर्थिक सहायता मिलने के पश्चात भी अभी तक कार्य पर वापस नहीं लोटे हैं, इन कर्मचारियों को लाभ प्राप्त किए 15 से अधिक सप्ताह बीत चुके हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि दस्तावेजों के अनुसार लगभग 48.6 प्रतिशत कर्मचारियों ने इम्पलॉएमेंट इंश्योरेंस सिकनेस योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता मिलने के 15 सप्ताह बीत जाने के बाद भी काम पर लोटने में असमर्थता जताई।  अधिकारिक समीक्षा में भी यहीं माना गया कि ये कर्मचारी गत वर्ष अक्टूबर के पश्चात से कार्य पर वापस नहीं आएं है। ज्ञात हो कि लाभ प्राप्त करने के पश्चात लाभार्थी को 15 से 30 सप्ताह के अंदर कार्य पर वापस लोटना अनिवार्य है। इसमें यह भी कहा गया कि यदि कर्मचारी लगभग एक वर्ष तक यहीं रवैया अपनाते हैं तो उन पर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती हैं। इस प्रकार का सर्वे सबसे पहले 1971 में किया गया, इसके पश्चात यह सर्वे इस बार हुआ। जिसके कारण इस बारे में अधिक टिप्पणी नहीं की जा सकती, क्योंकि इतने पुराने आंकड़ों के आधार पर नए सर्वे रिपोर्ट की तुलना करना अनुचित होगा। सिकनेस नीति का कर्मचारी अनावश्यक लाभ उठा रहे हैं, परंतु वर्ष 2015 में सत्ता संभालने के पश्चात भी सरकार ने इस बारे में कुछ कार्यवाही नहीं की, इस बात पर जांच की मांग उठाते हुए एनडीपी नेता ने हाऊस ऑफ कॉमनस में इसके प्रति जवाब मांगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को कैंसर जैसी भयानक बीमारी होती हैं तो उसे 15 से अधिक सप्ताह का अवकाश दिया जाता हैं अन्यथा यह सिकनेस लाभ जल्द ही समाप्त हो जाना चाहिए।
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