व्यस्क विक्लांगों को मिले निम्नतम मजदूरी : अभिभावक

– नॉर्थ यॉर्क फर्म ने 6 युवा व्यस्कों को उसकी विकासत्मक विक्लांगता के साथ स्थाई रुप से काम पर रखा
टोरंटो। टोरंटो वेयरहाऊस में काम करने वाले टेरी क्वीन्ट ने बताया कि वह प्रत्येक गुरुवार को नॉर्थ यॉर्क स्थित एक कंपनी में कार्ड बोर्ड फोल्डिंग का कार्य करते हैं, जिसके लिए वह इस कार्य में चार घंटे तक कार्य करते हैं और इसके लिए उन्हें न्यूनतम मजदूरी के रुप में 14 डॉलर प्रति घंटे का भुगतान भी किया गया। ज्ञात हो कि पिछली लिबरल सरकार ने पारित बिल 148 के अनुसार फेयर वर्कप्लेसस, बेटर जॉबस एक्ट, 2017 में यह योजना लागू की गई। परंतु इस विक्लांगों को भुगतान को लेकर विवाद खड़ा किया गया, जिसके आधार पर इनकी कार्य शक्ति के अनुसार इन्हें भुगतान देने की बात को स्वीकारा गया, परंतु ऐसे युवाओं के अभिभावकों का मानना हैं कि ये युवा हाथ पैरों से लाचार हैं परंतु इनकी बुद्धि तीव्र हैं और ये अपना कार्य उसी के आधार पर करते हैं, जिसके लिए उन्हें पूर्ण भुगतान देना चाहिए।
क्वीन्ट ने आगे बताया कि जबसे उन्होंने कार्य करना प्रारंभ किया उसके अभिभावक उस पर गर्व करने लगे हैं, वह जिस ग्रुप के साथ कार्य कर रहे हैं उसमें उनकी भांति तीन युवक व तीन महिलाएं हैं, जिन्हें फर्म द्वारा पूरा भुगतान किया जा रहा हैं अब ये लोग अन्य सामान्य लोगों की भांति अपने भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। ये लोग डीएएनआई नामक संस्था से जुड़े हैं जिन्होंने सरकार के इस कानून की जानकारी इन्हें दी और उसकी पूर्ण व्याख्या उन्हें समझाई जिसके अंतर्गत आज ये एक कंपनी में कार्यरत हैं और अपने सभी अधिकारों के प्रति पूर्णत: जागरुक भी हैं।
डीएएनआई के प्रोग्राम मैनेजर एशलेग मॉलीनारो ने बताया कि प्रत्येक विक्लांग को अपने अधिकारों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, जिससे वे भी अपना विकास कर सके और एक सामान्य जीवन जी सके।
समान कार्य के लिए समान भुगतान :
पूर्व प्रीमियर कैथलीन वीन ने वर्ष 2017 में बिल 148 को पारित करते हुए यह नियम बनाया था कि सभी लोगों को किसी भी व्यवसायिक संस्था में समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाएं, इसमें चाहे वह महिला हो या कोई विक्लांग उनके कार्य दक्षता को देखते हुए उसे कम भुगतान नहीं किया जाएं, क्योंकि उसकी कार्य करने की शक्ति चाहे कम हो परंतु उससे उतना ही समय व श्रम लिया जा रहा हैं जितना अन्य सामान्य पुरुष कर्मी से लिया जाता हैं। जानकारों के अनुसार अभी भी देश में इसके प्रति जागरुकता की कमी हैं और कंपनियों के दबाव में कई लोगों को कम भुगतान किया जा रहा हैं जोकि गलत हैं और इसे रोकने के उपाय शीघ्र किए जाने चाहिए।
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