एसएनसी विवाद को हल करने में सहयोग दें प्रधानमंत्री : शीर
– प्रोगरेसीव कंजरवेटिवस प्रमुख एंड्रू शीर ने प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो पर दबाव देते हुए अपनी मांग रखी हैं कि एसएनसी विवाद का उचित हल करवाएं अन्यथा विपक्ष लेगा कोर्ट का सहारा
औटवा। एंड्रू शीर ने एक बार फिर से एसएनसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने का मन बना लिया हैं, कंजरवेटिवस नेता का कहना हैं कि प्रधानमंत्री को अपने पद की गरिमा को देखते हुए इस मामले को उचित प्रकार से हल करना चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान भी करना होगा। तभी उनके सत्ता में बने रहने का कोई लाभ होगा। शीर ने मामले में कौताही बरतने पर स्पष्ट तौर पर प्रधानमंत्री को जवाब देने के लिए सामने उपस्थित होने की चुनौती दी। उनके अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा इस मामले में उदासीनता दिखाएं जाने के कारण ही इसमें इतना अधिक विलंभ हो रहा हैं अन्यथा जॉडी विलसन-रेबॉल्ड के सबूतों के अनुसार पर प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत दो वरिष्ठ अधिकारियों को पद मुक्त होना पड़ेगा और इससे लिबरलस की साख में भी बहुत अधिक हानि पहुंचेगाी। उन्होंने प्रधानमंत्री को खुली चुनौती देते हुए कहा कि इस विषय पर जल्द ही न्यायिक कमेटी नहीं बिठाई गई तो हमें अंत में कोर्ट का सहारा लेना होगा और इस जांच की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की संभावना जताई।
शीर ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री इस मामले में जनता को धोखा दे रहे हैं और यदि शीघ्र ही इसका स्पष्टीकरण पीएम द्वारा नहीं किया जाता तो विपक्ष को कोर्ट में जाने के अलावा और कोई रास्ता शेष नहीं बचेगा। मामले की गंभीरता को समझते हुए इस विवाद को शीघ्र ही हल करना अनिवार्य हो गया हैं। नहीं तो लोंगों के मन में न्याय के प्रति संदेहात्मक विचार भर जाएंगे जोकि किसी भी देश के लिए उचित शासन व्यवस्था नहीं होगी। ज्ञात हो कि विलसन-रेबॉल्ड ने गत वर्ष 19 दिसम्बर को प्रीवी काउन्सिल क्लर्क माईकल वरनिक के साथ हुई 17 मिनट की बातचीत को रिकॉर्ड किया और उसे अपनी जांच प्रक्रिया में सभी के सामने सुनाया। गत शुक्रवार को हाऊस ऑफ कोमनस में अपने 43 पृष्ठों के स्पष्टीकरण के साथ यह रिकॉर्ड भी सुनाया गया, जिसके पश्चात लिबरलस ने इस बात के लिए उनका कड़ा विरोध किया और इसे पूर्ण रुप से ”अनैतिकÓÓ बताया। केंद्रीय श्रममंत्री हाजदु ने आगे कहा कि यदि आप अपने ही कनिष्ठ अधिकारी के साथ की गई किसी भी वार्ता को बिना बताएं रिकॉर्ड करते है तो यह पूर्ण रुप से गैर-जिम्मेदाराना हरकत हैं जिसके लिए आप पर अवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए, प्रत्येक व्यक्ति अपने उच्च अधिकारी के साथ कुछ ऐसे सीक्रेटस साझा करता हैं जो उस समय की मांग होती हैं परंतु उसे स्थिति के अनुसार रिकॉर्ड करके अपनी सुविधा के अनुसार प्रयोग करना पूर्णत: गलत हैं। गौरतलब है कि इस मामले के लिए प्रधानमंत्री द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपना फैसला सुना दिया हैं परंतु उस निर्णय पर पूरा विपक्ष विरोध कर रहा हैं और इस मामले की पुन: निष्पक्ष जांच की मांग उठा रहा हैं। विपक्ष का मानना है कि प्रधानमंत्री ने स्वयं को बचाने के लिए इस मामले में अपने कार्यालय के अधिकारियों को फंसाया हैं। इस विवादित टिप्पणी के पश्चात लोगों की सहमति के लिए एक परामर्श कमेटी का गठन किए जाने पर विचार चल रहा हैं।
Comments are closed.