अभिनेता मनोज कुमार के पित्ताशय की सफल सर्जरी

मुंबई। वयोवृद्ध अभिनेता मनोज कुमार के पित्ताशय की सर्जरी बुधवार को एक उपनगरीय अस्पताल में हुई। आपरेशन सफल रहा। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं।
मनोज कुमार को पित्ताशय में दर्द और सूजन की शिकायत पर कुछ दिनों पहले अंधेरी स्थित कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के निदेशक राम नारायन ने कहा कि एक घंटे तक चली सर्जरी सफल रही और अब वह ठीक हैं। मनोज कुमार देशभक्ति फिल्मों में अभिनय और निर्देशन के लिए जाने जाते हैं। इस कारण उन्हें भारत कुमार की उपाधि मिली हुई है। उन्होंने कई यादगार फिल्में बनाई हैं जिनमें पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान, शोर, वो कौन थी, क्रांति, दो बदन आदि शामिल हैं। कुमार को 1992 में पदमश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
फिल्म उद्योग के लोकप्रिय अभिनेता मनोज कुमार का वास्तविक नाम हरिकिशन गोसाई है। उनका जन्म एबटाबाद [अब पाकिस्तान] में 24 जुलाई 1937 में हुआ था। ब्राह्मण परिवार में जन्मे मनोज कुमार की उम्र करीब दस वर्ष की थी जब उनका परिवार देश के बटवारे के चलते दिल्ली आकर बस गया। शुरू में दिल्ली के विजय नगर में शरणार्थी शिविर में कुछ समय रहने के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में जाने का निर्णय कर लिया। उनकी फिल्म यात्रा की कहानी सबसे पहले उनके नाम से ही शुरू होती है।
हरिकिशन गिरी गोस्वामी से वह मनोज कुमार कैसे बने इसकी एक रोचक कहानी है, दरअसल युवा हरिकिशन उस समय के सुपर स्टार दिलीप कुमार से बहुत प्रभावित थे और 1949 में दिलीप कुमार की प्रदर्शित फिल्म शबनम के किरदार से मनोज कुमार इतने प्रभावित हुए कि अपना नाम हरिकिशन गिरी से मनोज कुमार रख लिया। पर्दे पर मनोज कुमार की पहली फिल्म फैशन [1949] थी। इस फिल्म में उन्हें कुछ यादा पहचान नहीं मिली और फिर चांद , सुहाग, सिंदूर, जैसी फिल्मों के जरिए वह संघर्ष करते रहे। मनोज कुमार को अभिनय क्षेत्र में पहचान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। जब फिल्म कांच की गुडिया प्रदर्शित हुई जिसमे उनके साथ अभिनेत्री सादिया खान थी। इसी फिल्म के बाद आई फिल्म पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल में भी उनके अभिनय को सराहा गया।

 

 

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