औटवा नदी खतरे के निशान से ऊपर

– पश्चिमी ओंटेरियों के लोगों को जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ के भय से सताने लगी चिंता
औटवा। मौसम विभाग के अनुसार यदि आगामी दिनों में तापमान में कुछ कमी नहीं हुई तो औटवा नदी का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता हैं, इससे निकटवर्ती ईलाकों में रहने वालों को बाढ़ का सामना करना पड़ सकता हैं। इस समाचार के पश्चात औटवा नदी के किनारे रहने वालों के मन में भयंकर डर बैठ गया हैं और वे सोच रहे हैं यदि जलस्तर और अधिक बढ़ा तो यह पानी उनके घरों में घुस जाएगा और स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी, जिसे संभालने के लिए बहुत अधिक परेशानी होगी। इस ईलाके में रहने वाली एक महिला लायनी लेवीक्टोएयरी ने बताया कि वह जल्द से जल्द अपने घर पर जाना चाहती हैं जोकि औटवा नदी के किनारे हैं और पश्चिमी छोर पर बढ़ते जलस्तर के कारण डूबने की कगार पर हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनको सबसे अधिक डर यह है कि उन्होंने अपने घर के चारों ओर जो सैंडबेगस लगवाएं हैं वे पानी के वेग के कारण कहीं बह नहीं जाएं और पानी उनके घर में नहीं घुस जाएं। उन्होंने यह घर इसलिए लिया था, क्योंकि उन्हें शांतिपूर्ण स्थान बहुत अच्छा लगता हैं, ऐसे स्थानों पर वह पूरा दिन बिता सकती हैं, परंतु उन्हें यह बिल्कुल भी ज्ञात नहीं था कि उन्हें इस प्रकार की समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता था। अभी फिलहाल उन्होंने 5000 बेगस अपने घर के चारों ओर लगवाएं हैं, जिससे उनके घर में किसी भी प्रकार से पानी प्रवेश नहीं कर पाएं। वह यह सोचकर बहुत परेशान हो रही है कि उनके घर में पानी घुस गया तो भारी नुकसान हो सकता हैं, वह जल्द से जल्द अपने घर पर जाना चाहती हैं, ज्ञात हो कि अभी औटवा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और यदि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इसी प्रकार बना रहा तो यह जलस्तर और अधिक बढ़ सकता हैं, परंतु यदि जलवायु में परिवर्तन हुआ तो स्थिति नियंत्रण में भी आ सकती हैं। जिसकी सभी कामना कर रहे हैं, पश्चिमी ओंटेरियो के निवासी स्थिति पर अपनी नजरें बनाएं हुए हैं और जल्द ही इसके निवारण के लिए उपाय ढूंढ रहे हैं जिसके सभी चिंताग्रस्त हैं। लॉरेंटेशन वैली के मेयर स्टीव बनेट ने कहा कि स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए अभी फिलहाल 40 सैन्य अधिकारियों को इस कार्य में लगाया गया हैं, जिस संख्या को स्थिति अनियंत्रित होने पर और अधिक बढ़ाई भी जा सकती हैं। ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में हजारों निवासियों के जान-माल को बचाने की पूरी जिम्मेदारी सरकार और कैनेडियन सेना की हैं। जिसके लिए सभी प्रयासरत हैं।

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