जॉब्स पर धार्मिक चिन्ह पहनने को लेकर विवाद के हल हेतु काउन्सिल ने बुलाई स्थानीय लोगों की बैठक

– जहां एक ओर ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रीक ब्राउन इस बात पर अड़े है कि प्रांतीय सरकार को इस प्रतिबंध को वापस लेना चाहिए वहीं कुछ वार्डस के काउन्सिलरों का कहना है कि इसे लागू करके प्रांत व आगे चलकर देश में भी धर्म-निरपेक्षता कायम करने में मदद करनी चाहिए।
ब्रैम्पटन। पिछले दिनों क्यूबेक में प्रांतीय सरकार ने धर्म-निरपेक्ष संबंधी बिल पारित करके सभी सार्वजनिक स्थलों पर कार्य करने वाले सरकारी अधिकारियों को किसी भी प्रकार के धार्मिक चिन्ह या पोशाक पहनने पर पाबंदी लगा दी गई। इसका मुख्य कारण प्रांत में धर्म-निरपेक्षता की जड़ों को मजबूत करना बताया जा रहा हैं। पिछले दिनों क्यूबेक सरकार ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि भविष्य में कोई भी धर्म का व्यक्ति यदि सरकारी जॉब में हो तो वह अपने कार्य स्थल पर किसी भी प्रकार को धार्मिक चिन्ह या पोशाक न पहनकर आएं। यदि वह ऐसा करता है तो उस पर कानूनी कार्य वाही भी हो सकती हैं और इस प्रताड़ना के लिए वह स्वयं दोषी होगें। देश में बढ़ती जातिगत हिंसाओं के पश्चात यह फैसला लिया गया और सरकारी कर्मियों पर सख्ती करते हुए कहा कि सभी धर्म के कर्मचारी अपने धार्मिक चिन्हों व पोशाकों का दान करें जिससे अन्य लोगों को कुछ सहायता मिले और हमारा आना वाला समय भी उत्तम व खुशहाल बने। वहीं दूसरी ओर मेयर पैट्रीक ब्राउन ने क्यूबेक की विधानसभा में पेश किए विवादित बिल 21 का कड़ा विरोध किया गया हैं, उनके अनुसार इस प्रकार से सरकार किसी भी कर्मचारी को उसके धार्मिक चिन्ह को पहनने से नहीं रोका जा सकता, इस प्रकार से धार्मिक चिन्ह धारण करना लोगों की मानसिक स्थिरता को बनाएं रखने का एक प्रतीक हैं, कार्य के मध्य यदि कोई धार्मिक व्यक्ति कभी किसी उलझन में फंसता है तो वह उसी चिन्ह से स्वयं को संभलने की ऊर्जा प्राप्त करता हैं, परंतु यदि सरकार यदि इस प्रकार की पाबंदी लगाती हैं तो उसे कार्य के समय एक प्रकार की मानसिक पीड़ा सताती रहेगी और वह अपने कार्य स्थल पर उचित कार्य नहीं कर सकेगा। वार्ड  7 और 8 के काउन्सिलर पेट फॉरटीनी का कहना है कि समानता की नीति बनाएं रखने के लिए इस प्रकार के कड़े कानून बनाना आवश्यक हैं, लेकिन ब्राउन ने इसे एक पक्षपातपूर्ण विधेयक का नाम दिया जिसका लाभ केवल राजनैतिक दृष्टि से होगा इससे संबंधित लोगों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन्हीं उलझनों के हल हेतु काउन्सिलर ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को निमंत्रण दिया गया जिससे इनकी राय ली जा सके और इस विवाद का एक उचित हल खोजा जा सके।

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