ट्रुडो को मिली थोड़ी बढ़त, परंतु शीयर फ्रेंच-लेंग्वेज डिबेट में सवालों से घिरे
औटवा। इस बार का चुनाव बहुत ही रोचक मोड़ से गुजर रहा हैं, यह कहना असंभव लगता है कि 21 अक्टूबर को जनता किस पार्टी को सरकार बनाने का मौका देगी, देश के कुल सूत्रों की माने तो लिबरलस आगे है परंतु कई मुद्दों पर जनता के मध्य शीयर को बढ़त दी जा रही हैं, उनमें से एक प्रमुख मुद्दा फ्रेंच-लेंग्वेज विषय पर शीयर की घोषणाएं हैं, टीवीए टेलीविजन द्वारा आयोजित चुनावी चर्चा में बोलते हुए शीयर ने माना कि फ्रेंच-लेंग्वेज पर उनकी पार्टी की योजना अलग हैं जिसे चुनावों के पश्चात हल किया जाएगा। वहीं ट्रुडो ने पीसी पार्टी पर विश्वास की बात को उठाते हुए कहा कि आज देश का एक पिता, एक पति विश्वास कर रहा हैं, परंतु महिलाएं इस पार्टी के विरोध में हैं, पिछले कार्यकालों पर महिलाओं के प्रति हुए भेदभाव में पीसी पार्टी का नाम सबसे ऊपर रहा हैं, जिसे देश की महिलाएं कभी नहीं भूल सकती। जबकि दूसरी ओर एनडीपी के जगमीत सिंह का कहना है कि इस बार चुनावी चर्चा में महिलाओं के अधिकारों की बात नहीं उठानी चाहिए, वे भी उस पार्टी प्रमुख द्वारा जिसकी स्वयं की पार्टी से अभी हाल ही में दो महिला मंत्रियों से इस्तीफा दिया हो, पिछले चार वर्षों में जितने भ्रष्टाचार के आरोप लिबरलस पर लगे उतने शायद ही किसी अन्य पार्टी पर लगे हो, इस बात पर विचार करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। दोनों प्रमुख पार्टियां अपने-अपने प्लेटफॉर्मस जनता पर थोप रही हैं, परंतु आज का युग तकनीकी युग हैं और सभी पूर्ण सोच विचार कर ही अपना फैसला लेते हैं जोकि अब 21 अक्टूबर को ही पता चलेगा।
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मारीटाईम्स में चर्चा में सर्वोपरि रहे शीयर तो टीवीए डिबेट में छाएं रहे सिंह :
औटवा — आम चुनाव के लिए मतदान होना है। इसी बीच मतदाताओं के अनुसार रूडी एंड्रू शीयर के नेतृत्व में कंसरवेटिव पार्टी ने कैनेडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो की पार्टी लिबरल्स से मुकाबले बढ़त बना रहे हैं। लेकिन इप्सोस, एंगस रीड और एकोस द्वारा शुक्रवार से लिए गए नए मतदान ब्लैकफेस मेकअप में ट्रुडो के कई चित्र उभरने के बाद – टोरीज़ को लिबरल्स से तीन से पांच अंक आगे रखा।
एंगस रीड ने एक बयान में कहा कि हर एक सर्वे में 2.5 से 2.9 प्रतिशत की त्रुटि थी। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं था कि क्या प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने ब्लैकफेस (एक बार नहीं, बल्कि कम से कम तीन अवसरों पर) के अवमानना अधिनियम में भाग लिया। क्या इस चुनाव अभियान में लिबरल फिर से चुनाव की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे। लेकिन कितना पोलिंग फर्म ने कहा कि लिबरल पार्टी ने युवा मतदाताओं के बीच समर्थन हासिल किया। वर्ष 2015 में इन्होंने ही लिबरल पार्टी को सत्ता में आने में मदद की थी। वहीं चुनावी चर्चाओं में टोरीज और ङ्क्षसह के मुकाबले लिबरलस का प्रदर्शन कमजोर पड़ता नजर आ रहा है।
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