कैनेडियन्स सैनिक नाटो मिशन से हटेंगे

– अमेरिका-इराक के मध्य बढ़ते विवादों के कारण अस्थाई रुप से लिया गया निर्णय
टोरंटो। अमेरिका-इराक के मध्य बढ़ते विवादों के कारण सभी प्रकार की स्थितियों पर कैनेडा नजर बनाएं हुए हैं, जिसमें विशेष तौर पर कैनेडियनस सैनिकों को अपने देश लौटाने का निर्णय। गत दिनों हुई घटनाओं के पश्चात नाटो प्रमुख ने कैनेडियनस सैनिकों के प्रशिक्षण मिशन को स्थगित करने की घोषणा कर दी हैं। उनके अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से यह फैसला लिया गया हैं। ज्ञात हो कि गत शुक्रवार रात को बगदाद के निकट अमेरिकी ड्रोन हमले द्वारा ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी और अन्य वरिष्ठ सहभागियों को मार दिया गया। नाटो सचिव जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने बताया कि सुरक्षा कारणों से आगामी प्रशिक्षण मिशन को अस्थाई रुप से स्थगित कर दिया गया। उन्होंने यह भी आशा जताई कि स्थितियां सुधरते ही प्रशिक्षण मिशन दोबारा आरंभ किया जाएगा। नाटो प्रमुख के अनुसार 250 कैनेडियन सैनिकों की सुरक्षा का जिम्मा नाटो का हैं, जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने कहा कि अमेरिका द्वारा आतंकी गतिविधियों पर कठोर कार्यवाही के कारण यह कार्यवाही की गई हैं जिसके लिए मामला और अधिक उलझे नहंी इसलिए सैनिकों की संख्या को घटाने की घोषणा की गई। ज्ञात हो कि अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन ने आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का संकेत दिया है। इराक में मौजूद अपने गैर-आपातकालीन अधिकारियों को वापस बुला लिया है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने पश्चिमी एशिया में युद्धपोत और मिसाइल तैनात कर ईरान को सख्त संदेश दिया था। अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए युद्ध जैसे हालात नजर आ रहे हैं। सऊदी के 2 तेल टैंकरों पर यूएई के तट पर हुए हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। हालांकि, ईरान ने इसमें अपनी भूमिका से इनकार करते हुए इसे विदेशी ताकत की साजिश बताया। इस बीच पश्चिमी एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करने और किसी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने की तैयारी अमेरिका ने शुरू कर दी है। अमेरिका ने इराक में मौजूद अधिकारियों को वापस बुला लिया है। गैर-आपातकालीन अमेरिकी अधिकारियों को ट्रंप प्रशासन ने वापस लौटने का आदेश जारी किया है।
युद्ध की तैयारी से ट्रंप का इनकार :
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की ईरान के खिलाफ युद्ध की तैयारी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ईरान से मुकाबला करने के लिए मध्य पूर्व में लगभग एक लाख 20 हजार सैनिकों को भेजने की योजना पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, इराक से अमेरिका ने अपने अधिकारियों को बुलाकर ईरान के लिए सख्त तेवर जरूर दिखाए हैं।
अमेरिका-ईरान में चरम पर तनाव :
अमेरिका और ईरान के संबंध पिछले एक साल में बेहद खराब हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा प्रशासन में ईरान के साथ हुए न्यूक्लियर डील को खत्म कर दिया और ईरान पर कठोर प्रतिबंध फिर से लागू हो गए। भारत और चीन जैसे देशों को दी गई रियायत भी खत्म हो गई और इन सबका असर ईरान के अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह से पड़ा। अमेरिका ने ईरान को और बड़ा झटका देते हुए तेल खरीद पर चीन और भारत जैसे देशों को मिलनेवाली छूट को भी खत्म कर दिया। सऊदी के तेल टैंकरों पर हमला, पूरी दुनिया पर दिखेगा अमेरिका-ईरान तनाव का असर?
ईरान के खिलाफ अमेरिका ने मिसाइल-युद्धपोत तैनात कर दिखाए सख्त तेवर :
अमेरिका ने अपने युद्धपोत यूएसएस आरलिंगटन और यूएसएस अब्राहम लिंकन को पश्चिमी एशिया क्षेत्र में तैनात किया है। अमेरिका के रक्षा सलाहकार ने पहले ही कहा था कि अमेरिका के खिलाफ ईरान युद्ध की तैयारी कर रहा है। ईरान के आक्रमण करने की आशंका का हवाला देते हुए अमेरिका ने पश्चिम एशिया में पैट्रियट मिसाइलें भी तैनात की हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा का जायजा लेने के लिए इराक का दौरा भी किया। हालांकि, संयुक्त रूप से इन सभी घटनाक्रम का असर दोनों देशों के बीच तनाव के चरम पर पहुंच जाने के रूप में हुआ।

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