यूनिटेक सेज में स्टेक के लिए ग्लोबल इनवेस्टर्स में मुकाबला
टोरंटो – रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट कंपनी यूनिटेक कॉरपोरेट पार्क्स ने गुडग़ांव में आईटी स्पेशल इकनॉमिक जोन के लिए दो ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फंड्स, सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड और कैनेडा के पेंशन फंड को बोली के दूसरे राउंड में चुना है। कंपनी का यह सेज 36 लाख वर्ग फुट में बना हुआ है।
सूत्र के मुताबिक, कंपनी ने लंदन के जैंडर, न्यूयॉर्क के ब्लैकस्टोन, सिंगापुर के जीआईसी और कैनेडा के पेंशन फंड को इसके लिए बुलाया था। पहले राउंड में मैपलट्री और टिशमैन स्पेयर सहित दूसरे इनवेस्टर्स ने सेज के लिए 2,300-2,700 करोड़ का ऑफर दिया था। इस सेज का 45 फीसदी स्टेक रियल्टी कंपनी यूनिटेक के पास है। अगस्त के अंत तक यह डील फाइनल हो सकती है। इस सेज में एक्सेंचर, आरबीएस, बैंक ऑफ अमेरिका, सेपिएंट और अर्न्स्ट एंड यंग के ऑफिस हैं।
इस ट्रांजैक्शन से यूनिटेक को करीब 1,100 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। इस प्रॉपर्टी पर कर्ज नहीं है। यूनिटेक इस पैसे लोन का बोझ कम कर सकती है। कंपनी पर 31 मार्च तक 5,642 करोड़ रुपए का लोन था। यूनिटेक और जैंडर के प्रवक्ता ने इस बारे में कमेंट करने से मना कर दिया। जीआईसी और ब्लैकस्टोन ने भी इकनॉमिक टाइम्स के सवालों के जवाब नहीं दिए।
यूनिटेक कॉरपोरेट पार्क्स के बोर्ड के चेयरमैन डॉनल्ड लेक पिछले महीने भारत आए थे। उन्होंने यूनिटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय चंद्रा से मिलकर इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टैंट जोंस लैंग लसाल को बिड प्रोसेस के लिए अप्वाइंट किया था। इसके पहले बोर्ड यूनिटेक कॉरपोरेट पार्क्स का एसेट नहीं बेचना चाहता था। सूत्र ने बताया, बोर्ड एसेट को पूरी तरह लीज पर देने के बाद ही स्टेक बेचने के हक में था। गुडग़ांव सेज 75 फीसदी बन चुका है। यूनिटेक कॉरपोरेट पार्क्स ने दिसंबर 2006 में शेयर्स जारी 36 करोड़ पौंड जुटाए थे। कंपनी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुडग़ांव और कोलकाता में छह एसेट डेवलप कर रही है।
यूनिटेक कॉरपोरेट पार्क्स को रेंटल और मेंटेनेंस से सालाना 200 करोड़ रुपए मिलते हैं। अभी 26 लाख वर्ग फुट कंस्ट्रक्टेड स्पेस ही लीज पर दिया गया है। एक बार पूरे स्पेस को लीज पर देने से इसे करीब 280 करोड़ रुपए का रेंटल और मेंटेनेंस रेवेन्यू मिलेगा। इस डील के अगस्त अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, डील पूरी तरह से साल अंत तक ही पूरी हो पाएगी। इसके लिए कंपनी को मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के तहत बोर्ड ऑफ अप्रूवल फॉर स्पेशल इकनॉमिक जोन से क्लीयरेंस लेनी होगी।
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