प्रधानमंत्री का स्थायित्व का आह्वान, पाकिस्तान को चेताया

pmmनई दिल्ली- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को राजनीतिक स्थिरता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की वकालत की और पाकिस्तान से कहा कि यदि वह भारत से दोस्ती की इछा रखता है तो उसे भारत विरोधी सभी गतिविधियों का त्याग करना होगा।
अगले वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनाव से पहले वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में अंतिम स्वतंत्रता दिवस संबोधन में देश में मनमोहन सिंह ने वर्ष 2004 में सत्ता में आए कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की उपब्धियों का ब्योरा दिया।
देश के 67वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से हिंदी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सरकार की सफलता, लक्ष्यों का ब्योरा देते हुए व्यापक तस्वीर पेश की और कुछ क्षेत्रों की कमजोरी को भी स्वीकार किया।
राजनीति की तरफ मुड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष देश में संकीर्ण और सांप्रदायिक विचारधाराओं के लिए कोई जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, ऐसी विचारधाराएं हमारे समाज को विभाजित और लोकतंत्र को कमजोर करती हैं। हमें उन्हें बढऩे से रोकना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें अपने देश की उस परंपरा को मजबूत करने की जरूरत है, जो हमें सहिष्णुता और भिन्न विचारों का सम्मान करना सिखाती है।
जिस जगह से हर स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करने की परंपरा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की थी उसकी रक्षा में हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। आतंकवादी हमले की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली किसी किले की तरह नजर आई।
यह उल्लेख करते हुए कि भारत हर दशक के बाद एक बड़ा बदलाव का गवाह रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक सद्भाव और सुरक्षा का वातावरण तैयार करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ मित्रता का इछुक है लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंधों में केवल तभी सुधार आ सकता है जब वह अपने क्षेत्र से भारत विरोधी गतिविधियों को रोक दे।
हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों के अकारण हमले में शहीद हुए पांच जवानों की तरफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया किया कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हो इसके सभी संभव उपाय आजमाए जाएंगे।
सिंह ने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि हाल के महीनों में तेज औद्योगिक स्वीकृति, आधारभूत ढांचा निर्माण और विदेशी धन के प्रवाह में वृद्धि के लिए उठाए गए कदमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर तेजी से वृद्धि करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है कि भारत की धीमी वृद्धि का दौर लंबा नहीं चलेगा। पिछले नौ वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था ने वार्षिक 7.9 प्रतिशत के औसत से विकास किया है। विकास की यह गति किसी भी दशक से यादा है।
प्रधानमंत्री ने आर्थिक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बहुचर्चित खाद्य सुरक्षा विधेयक का भी उल्लेख किया और कहा कि संसद शीघ्र ही इसे पारित करेगी। उन्होंने स्वीकार किया कि शिक्षा पद्धति में सुधार की दिशा में काफी कुछ किया जाना बाकी है।

मनमोहन सिंह ने कहा, हमारे कई स्कूलों में अभी भी पेयजल, शौचालय और अन्य जरूरी आधारभूत संरचनाओं की कमी है।
उन्होंने दावा किया कि देश में नक्सली और आतंकवादी गतिविधियों में कमी हुई है लेकिन यह भी स्वीकार किया कि समय-समय पर नक्सली हमले हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शासन को जवाबदेह, पारदर्शी और इमानदार बनाने के लिए संप्रग ने कई महत्वूपर्ण कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून ने अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर करने में मदद की है और उम्मीद है कि यह सरकार के कामकाज में और सुधार लाने में मददगार होगा।
उन्होंने कहा कि जब लोकपाल विधेयक कानून की शक्ल लेगा तब वह हमारी राजनीतिक प्रणाली के स्वछ होने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

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