संसद सत्र में कोविड-19 पर तकनीक और प्रतिनिधित्व को लेकर होगी  चर्चा

औटवा। कोविड-19 के कारण संक्षिप्त संसद सत्र की कल्पना किसी भी नेता ने भविष्य में कभी नहीं की थी, जहां इसे लेकर विपक्ष अपनी तैयारियों में जुटा हैं वहीं केंद्र सरकार ने भी कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न समस्याओं पर उचित रणनीति तैयार करने की आशा जाहिर की हैं, सोमवार से आरंभ हुए इस संसद सत्र में केवल कुछ चुनिंदा सांसदों को ही शामिल होने की अनुमति होगी, जिससे सोशल डिशटेन्सींग का पालन करते हुए कोविड-19 पर देश की अगली तकनीक व कार्य योजना पर विचार करते हुए उसे लागू किया जाएं। इस महामारी के कारण जिस प्रकार पूरी दुनिया गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहीं हैं, उस स्थिति के लिए देश की वित्तीय योजनाओं को भी तैयार करना हाऊस ऑफ कोमनस के लिए एक जटिल कार्य होगा। सबसे बड़ी बात यह होगी कि कोविड-19 के लिए तैयार कार्य नीति पर पक्ष-विपक्ष का सर्वसम्मति से एक होना जटिल होगा, जहां एक ओर लिबरलस और एनडीपी इस संकट काल को लेकर अपनी योजनाएं बना रहे हैं वहीं विपक्ष में उनके विरुद्ध ठोस योजनाओं को प्रस्तुत करेगा, यहीं द्वंद कहीं इस विषय पर आगे की कार्यवाही को नहीं रोक दें। ज्ञात हो कि इस बार का संसद सत्र केवल माह में चार बार आयोजित होगा, जिसके कारण अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि किस विषय पर कितनी देर चर्चा हो सकती है और यदि जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया तो मुद्दे लंबित रह सकते हैं, यही दुविधा सभी के मन को सता रही हैं। जानकारों के अनुसार इस बार के सत्र में सभी छोटे व निचले सांसदों को एक अलग कमरे में बिठाया जाएगा जिनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेन्सींग द्वारा वार्ता होगी, जबकि स्पीकर की चेयर मुख्य कक्ष में होगी जिसके साथ सभी का संपर्क केवल टीवी स्क्रीन के माध्यम से होगा। सबसे पहले सत्र में 32 सांसदों को आमंत्रित किया गया हैं जिन्हें उचित दूरी के साथ संयमित रुप से बिठाया जाएगा और चर्चा के लिए भी सभी को प्रशिक्षित किया हैं। लंबित कार्य नीतियों के लिए एनडीपी संसदीय नेता पीटर जूलीयन द्वारा सभी विषयों पर चर्चा की जाएंगी। जूलियन ने अपने संदेश में कहा कि इस बार सत्र के कार्यन्वयण हेतु केंद्र सरकार ने बहुत अधिक मेहनत की हैं और हमारे परामर्श के साथ आगे की कार्यवाही पर उचित परामर्श बिठाएं गए हैं, जिसके कारण न केवल इस महामारी को देश से हटाया जाएंगा अपितु गिरती अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भी निर्णायक कदम उठाएं जाएंगे, जिसका लाभ देश के प्रत्येक वर्ग को बराबर-बराबर मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें संयमित होकर कम से कम समय में अधिक निर्णय लेने होंगे, जिससे इस सत्र को सफलता पूर्वक पूर्ण किया जा सके और इसका लाभ देश की जनता को अधिक से अधिक मिल सके। सभी सांसदों को वक्त की नजाकत को समझना होगा और सत्र में अड़चन पैदा करने की अपेक्षा उसे सुचारु रुप से आगे बढ़ाना होगा तभी सभी को सफलता मिल सकेगी।
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