छात्र सहायता योजना पर खर्च होने वाले 900 मिलीयन डॉलर की जांच करें ऑडीटर जनरल : टोरीज

औटवा। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित प्रवासी छात्रों के लिए घोषित वित्तीय सहायता योजना को लेकर विपक्ष ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, कंसरवेटिवस का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा ”आउटसोर्सिंग” के आधार पर कार्य करने वाले सभी देशी-विदेशी छात्रों को कोविड-19 महामारी के काल में रोजगार छूट जाने के कारण घोषित की गई वित्तीय योजना की जांच ऑडीटर जनरल कारेन होगन द्वारा होनी चाहिए, जिससे इस संबंध में सभी बातें पारदर्शी हो सके। इस वित्तीय सहायता योजना में कैनेडा छात्र सेवा अनुदान और वी चैरिटी को ही जोड़ा गया जिसमें भी संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार वी चैरिटी संस्था के साथ प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो और उनकी पत्नी सोफिया ट्रुडो के करीबी संबंध बताए जा रहे हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना से वी चैरिटी को जोड़ा, पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए सरकार और वी चैरिटी के आंतरिक दस्तावेजों की संपूर्ण जांच होनी चाहिए, जिससे सभी प्रकार की संदेहास्पद बातों पर अंकुश लगाया जा सके, यदि इसमें कोई डील संदेहास्पद लगती हैं तो उसके लिए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो, जिन्होंने इस आपदा काल में भी छात्रों का नाम लेकर जनता के धन का दुरुपयोग किया। कंसरवेटिवस सांसद पैरी पॉलीवरी, डेन अलबास और राकेल डेन्चो ने इस संबंध में एक हस्ताक्षरित पत्र संसद में प्रस्तुत किया और इस योजना की पूर्ण वित्तीय जांच की मांग उठाई हैं। उन्होंने पत्र में लिखा कि आउटसोर्सिंग संबंधी इस प्रयोग तीसरी पार्टी की नियुक्ति बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं जिसके लिए विपक्ष द्वारा समीक्षा आवश्यक हैं, छात्रों को वित्तीय लाभ मध्यस्थ द्वारा ही वितरित होगा, इसे ध्यान में रखते हुए मामले पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक हैं। लिबरल सरकार ने अपनी वित्तीय सहायता की घोषणा करते हुए कहा था कि यदि इस महामारी काल में कोई भी छात्र जिसे अपनी इंटरनशिप करने में वित्तीय परेशानी आ रही हैं, उसकी सहायता सरकार करेगी और उसे 5,000 डॉलर तक की सहायता की योजना पारित की गई, इसके अंतर्गत अक्टूबर तक 20,000 छात्रों को लाभ देने की योजना तैयार की गई हैं। विपक्षी सांसदों की इस अपील पर अभी तक केंद्र ने कोई भी अधिकारिक जवाब जारी नहीं किया हैं, इसलिए मामले को लेकर विपक्ष जल्द कार्यवाही की मांग कर रहा हैं।
औटवा। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित प्रवासी छात्रों के लिए घोषित वित्तीय सहायता योजना को लेकर विपक्ष ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, कंसरवेटिवस का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा ”आउटसोर्सिंगÓÓ के आधार पर कार्य करने वाले सभी देशी-विदेशी छात्रों को कोविड-19 महामारी के काल में रोजगार छूट जाने के कारण घोषित की गई वित्तीय योजना की जांच ऑडीटर जनरल कारेन होगन द्वारा होनी चाहिए, जिससे इस संबंध में सभी बातें पारदर्शी हो सके। इस वित्तीय सहायता योजना में कैनेडा छात्र सेवा अनुदान और वी चैरिटी को ही जोड़ा गया जिसमें भी संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार वी चैरिटी संस्था के साथ प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो और उनकी पत्नी सोफिया ट्रुडो के करीबी संबंध बताए जा रहे हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना से वी चैरिटी को जोड़ा, पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए सरकार और वी चैरिटी के आंतरिक दस्तावेजों की संपूर्ण जांच होनी चाहिए, जिससे सभी प्रकार की संदेहास्पद बातों पर अंकुश लगाया जा सके, यदि इसमें कोई डील संदेहास्पद लगती हैं तो उसके लिए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो, जिन्होंने इस आपदा काल में भी छात्रों का नाम लेकर जनता के धन का दुरुपयोग किया।
कंसरवेटिवस सांसद पैरी पॉलीवरी, डेन अलबास और राकेल डेन्चो ने इस संबंध में एक हस्ताक्षरित पत्र संसद में प्रस्तुत किया और इस योजना की पूर्ण वित्तीय जांच की मांग उठाई हैं। उन्होंने पत्र में लिखा कि आउटसोर्सिंग संबंधी इस प्रयोग तीसरी पार्टी की नियुक्ति बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं जिसके लिए विपक्ष द्वारा समीक्षा आवश्यक हैं, छात्रों को वित्तीय लाभ मध्यस्थ द्वारा ही वितरित होगा, इसे ध्यान में रखते हुए मामले पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक हैं। लिबरल सरकार ने अपनी वित्तीय सहायता की घोषणा करते हुए कहा था कि यदि इस महामारी काल में कोई भी छात्र जिसे अपनी इंटरनशिप करने में वित्तीय परेशानी आ रही हैं, उसकी सहायता सरकार करेगी और उसे 5,000 डॉलर तक की सहायता की योजना पारित की गई, इसके अंतर्गत अक्टूबर तक 20,000 छात्रों को लाभ देने की योजना तैयार की गई हैं। विपक्षी सांसदों की इस अपील पर अभी तक केंद्र ने कोई भी अधिकारिक जवाब जारी नहीं किया हैं, इसलिए मामले को लेकर विपक्ष जल्द कार्यवाही की मांग कर रहा हैं।
You might also like

Comments are closed.