श्रीकृष्ण लीलाओं का केंद्र रही हैं ये जगहें
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। श्रीकृष्ण एक साधारण मानव न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभासम्पत्र राजनीतिवेत्ता ही नहीं, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक मिला जिसका गीता-ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक भी रहा है। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है फिर भी कुछ ऐसे प्रमुख स्थल हैं जिनकी चर्चा केवल भगवान कृष्ण के संबंध में ही की जाती है।
मथुरा- उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के पश्चिम किनारे पर बसा मथुरा शहर एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर के रूप में जाना जाता है। यह भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की परम प्राचीन तथा जगद्-विख्यात नगरी है जिसकी व्याख्या शास्त्रों में युगों-युगों से की जा रही है। यह जगह हमेशा से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। मथुरा में खेली जाने वाली ब्रज होली विश्वविख्यात है। यह दिल्ली से 145 किलोमीटर जबकि आगरा से 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस जगह की यात्रा करते हैं।
वृंदावन- तीर्थस्थल वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला के अंतर्गत आता है। मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जगह को भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली के रूप में जाना जाता है। वृंदावन कृष्ण की रासलीला का स्थल है। कृष्ण गोपियों के साथ यहां रास रचाने के लिए आते थे। यहां के कण-कण में कृष्ण और राधा का प्रेम बसा है। हर साल दुनियाभर से लाखों की संख्या में कृष्ण भक्त यहां पहुंचते हैं। यहां सालभर देश-विदेश से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है।
गोकुल- गोकुल गांव भगवान कृष्ण से संबंधित प्रमुख तीर्थ स्थालों में से एक है। यमुना किनारे बसा यह गांव भगवान कृष्ण की बाल लीला का साक्षी है। भगवान कृष्ण ने बालपन में ज्यादातर लीलाएं यहीं पर रचाई थीं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण यहां की गलियों में अपने बाल सखाओं के साथ खेला करते थे तथा गांव से लगे वनों में गौएं चराया करते थे। यह पवित्र स्थान मथुरा से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
द्वारका- हिंदुओं का पवित्र स्थल द्वारका दक्षिण-पश्चिम गुजरात राज्य, पश्चिम-मध्य भारत का प्रसिद्ध नगर है। यह जगह भगवान कृष्ण की पौराणिक राजधानी थी, जिन्होंने मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी। इस जगह को चार धामों में एक तथा सात पुरियों में से एक पुरी के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान शिव का नागेश्वर ज्योतिर्लिग भी है जो बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। द्वारका वह जगह है जहां द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण ने कई साल राज किया। यहीं पर रहकर उन्होंने पांडवों को सहारा दिया तथा दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं का नाश करवाया।
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