निर्यातकों ने ऑर्डर टाले बचों ने अपनी पढ़ाई
टोरंटो,रुपये की तुलना में महंगे अमेरिकी डॉलर की मार चारों और से पड़ रही है। रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं से लेकर विदेशों में पढ़ाई और सैरसपाटा भी महंगा हो चला है। 64 रुपये के पार जाकर मंगलवार को 63।43 रुपये पर बंद हुए अमेरिकी डॉलर के तेवर भले ही कुछ ढीले पड़े हों पर एक्सपोर्टर्स व इंपोर्टर्स को डॉलर की चाल पर भरोसा नहीं है। बेलगाम डॉलर से घबराए बहुत से एक्सपोर्टर्स ने अपने एक्सपोर्ट ऑर्डर फिलहाल टाल दिये हैं।
इधर अमेरिका व कैनेडा में पढ़ाई के लिए जाने वालों ने भी फिलहाल इन देशों में पढ़ाई स्थगित कर दी है। इन देशों में पढ़ाई के लिए बैंक अधिकतम 20 लाख रुपये तक लोन दे रहे हैं जबकि पिछले दो महीने में डॉलर की कीमत रुपये की तुलना में 10 फीसदी बढ़ गई है।
इधर आयातित महंगे कचे माल से एक्सपोर्ट के लिए माल तैयार करने वाले एक्सपोर्टर्स को अमेरिकी डॉलर महंगा होने की दोहरी मार पड़ी है। एक तो कचा माल महंगा मिल रहा है दूसरा डॉलर महंगा होने से डिस्काउंट का भी दबाव बढ़ा है। अमेरिकी डॉलर के 65 रुपये के पार जाने की संभावना बताकर विदेशी इंपोर्टर्स यहां के एक्सपोर्टर्स पर 15 फीसदी तक डिस्काउंट मांग रहे हैं।
सीआईआई लुधियाना रीजन के चेयरमैन राहुल आहूजा के मुताबिक 64 रुपये के स्तर को पार करने वाले डॉलर का रेट मंगलवार को 63।43 रुपये पर आने से इसके और नीचे आने के संकेत हैं इसलिए हम अपने नए ऑर्डर 60 रुपये के स्तर पर ही बुक कर रहे हैं।
जो खरीदार इस स्तर पर ऑर्डर देने को तैयार नहीं है उसके ऑर्डर नहीं लिए जा रहे हैं। पंजाब चैंबर ऑफ स्माल एक्सपोर्टर्स के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एके कोहली के मुताबिक अमेरिकी डॉलर 10 फीसदी से अधिक बढ़ चुका है, ऐसे में निर्यातकों को अतिरिक्त लाभ मिलना चाहिए, लेकिन नहीं मिल रहा है।
खरीदार डॉलर में आई तेजी के बराबर डिस्काउंट मांग रहे हैं। वर्धमान टेक्सटाइल के डायरेक्टर डीएल शर्मा के मुताबिक डॉलर के महंगा होने से मैन मेड फाइबर की कीमतें बढ़ी हैं वहीं एक्रेलिक धागों की कीमतें भी 15 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।
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