चुनाव के स्थान पर वित्तीय रिकवरी और वेस्टर्न एलीअनैशन को अधिक प्राथमिकता देंगे : ओटूले

औटवा। कंसरवेटिव पार्टी ने अपना नया केंद्रीय नेता ईरीन ओटूले को चुन लिया हैं, परंतु उन्होंने अपनी जीत के पश्चात पहले संबोधन में कहा कि इस समय देश को चुनाव के स्थान पर पश्चिमी हस्तांतरण और वित्तीय रिकवरी के लिए कार्य किया जाएगा। ओटूले ने अपने बयान में कहा कि इस समय महामारी के कारण देश गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा हैं, जिससे महामंदी आने की संभावना दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं और हम देश को चुनावों के लिए नहीं धकेल सकते, इसके विपरीत विपक्ष में रहकर कैनेडियनस के पुनरुत्थान के कार्यों को अंजाम देना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। मनीटोबा स्थित सांस कैनडाइस बरगन ने कहा कि इस प्रकार का संदेश पहली बार किसी नेता ने दिया होगा जिसमें केवल देश व जनता की लाभ की बात कही जा रही है। इस समय कैनेडा में जिस प्रकार से ट्रुडो के घोटाले सामने आ रहे हैं यदि चुनाव करवाएं गए तो अवश्य ही उनकी पार्टी हार जाएंगी, परंतु फिर भी ओÓटूले ने परिस्थितयों का लाभ नहीं उठाते हुए देश के विकास को नियंत्रित करना अपनी पहली प्राथमिकता बताई। ओÓटूले ने अपनी जीत के पश्चात दिए साक्षात्कार से पूर्व यह माना था कि अभी पीसी पार्टी लिबरलस के लिए अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाना चाहेगी क्योंकि महामारी काल में देश एक और केदं्रीय चुनावों की स्थिति में नहीं हैं, इसके लिए स्थितियां सामान्य करने की बहुत अधिक आवश्यकता हैं। परंतु उन्होंने यह भी माना कि देश में बढ़ते कोरोना का रोकना अति आवश्यक हैं। जिसके लिए केंद्र सरकार ने कोई भी उचित नीति का प्रयोग नहीं किया, जिससे कई और जिंदगियों को बचाया जा सकता था। ज्ञात हो कि पिछले दिनों भारी दबाव के पश्चात कई बार मतदान के टल जाने से, एंड्रू शीयर के स्थान पर नये उम्मीदवार के चयन में समस्या उत्पन्न हो रही थी। वास्तविक पार्टी प्रमुख नहीं होने से सत्ताधारी सरकार पर भी कोई भी दबाव नहीं बनाया जा रहा था, जिससे वास्तविक समय में प्रधानमंत्री ट्रुडो पर भी कई विवादों में शामिल होने का आरोप लगाया जा सकेगा। अपनी जीत के पश्चात ईरीन ओÓटूले ने अपने पहले संबोधन में लोगों से कहा कि गुड मोर्निंग जनता, उन्होने अपने विजयी संदेश में उन सभी को धन्यवाद दिया जिनके कारण आज वह देश की प्रमुख पार्टी के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यह जीत सभी की हैं, जो सच्चे मन से यहीं चाहते थे कि देश को उनका उत्तम सहयोग मिले, जिससे वे अपनी उचित ज्ञान से सत्ताधारी सरकार को उनकी गलत नीतियों पर टोक सके और उचित नीतियों की प्रशंसा करके उसमें सहयोग दे सके।

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