राजपक्षे के समक्ष लापता तमिलों का मसला उठाएंगी पिल्लै

टोरंटो – संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त नवी पिल्लै ने कहा है कि लापता हुए तमिलों का मामला राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के सामने उठाया जाएगा। पिल्लै वर्ष 2009 में महासचिव बान की मून के बाद उत्तर की यात्रा करने वाली संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठतम अधिकारी हैं। मंगलवार को उन्होंने लंका की सेनाओं और तमिल चीतों के बीच हुई अंतिम लड़ाई के स्थान नंथीकंदल का दौरा किया। इस लड़ाई में लिट्टे की हार हुई थी।
उन्होंने लिट्टे के साथ श्रीलंका के युद्ध के दौरान लापता हुए तमिलों के रिश्तेदारों से मुलाकात की जिन्होंने अपने लापता परिजनों, सेना द्वारा जमीन हथियाने और मूल सुविधाओं के अभाव को लेकर उनसे शिकायत की।
पिल्लै ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे भूमि, आजीविका और गुमशुदगी जैसे मामलों पर राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ बैठक में चर्चा करेंगी। यह बैठक इस सप्ताह के अंत में होनी है।
संयुक्त राष्ट्र की इस अधिकारी ने लिट्ट प्रमुख केंद्र रहे मुल्लईथीवू का भी दौरा किया। उन्होंने लोगों को बताया कि किसी भी तत्काल हल की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अगले सत्र से पहले एक सप्ताह की अवधि के मूल्यांकन दौरे के लिए पिल्लै श्रीलंका में हैं। श्रीलंकाई सेना ने मई 2009 में लिट्टे को हराकर देश में तीन दशक से चल रही हिंसा का अंत कर दिया था। मानवाधिकार समूहों के अनुसार, लिट्टे के खिलाफ सेना के हमले के दौरान जाफना से 500 से भी यादा लोग लापता हो गए थे।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई सेना ने युद्ध के अंतिम चरण में संभवत: 40 हजार तमिल नागरिकों को मार डाला था। अंतिम सैन्य अभियान के दौरान हुई लोगों के लापता होने और अधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच के लिए श्रीलंका पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है।
पिल्लै के नेतृत्व वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने अधिकारों की जवाबदेही के मामले में प्रगति दर्शाने के लिए श्रीलंका को बाध्य करने वाले दो प्रस्ताव स्वीकार किए हैं। श्रीलंका का पिल्लै का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कैनेडा ने नवंबर में कोलंबो में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडलीय सम्मेलन के बहिष्कार की अपील की है।

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