भटकल की गिरफ्तारी फारूकी को पड़ गई भारी
नई दिल्ली , सपा के शीर्ष नेतृत्व से भी एक कदम आगे चलने की आदत कमाल फारूकी को भारी पड़ गई। आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी समेत कई मामले में उनके बड़बोलेपन ने उन्हें सपा के राष्ट्रीय सचिव पद से मुक्त करा दिया। संकेत यह भी हैं कि फारूकी की राह चल रहे दूसरे नेताओं पर भी गाज गिर सकती है।
सपा ने कमाल फारूकी को पार्टी से निलंबित या बर्खास्त नहीं किया है। उन्हें सिर्फ राष्ट्रीय सचिव पद से हटाया गया है। फारूकी ने देश में कई बम धमाकों के साजिशकर्ता व कई मौतों के जिम्मेदार आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी को समुदाय विशेष से जोडक़र उस पर आशंका जताई थी। चूंकि देश की सुरक्षा एजेंसियों के पास भटकल के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं, लिहाजा उसकी गिरंफ्तारी पर किसी भी राजनीतिक दल ने कोई सवाल नहीं उठाया। यहां तक कि खुद सपा के शीर्ष नेताओं ने भी कोई ऐसी टिप्पणी नहीं की, जिससे गलत संदेश जाए। बल्कि सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव तो भटकल की गिरफ्तारी को पूरी तरह जायज ठहरा चुकेहैं।
लेकिन फारूकी ने आशंका जताई कि कहीं उसे समुदाय विशेष से होने के कारण तो नहीं गिरफ्तार किया गया। माना जा रहा है कि फारूकी के इस बयान से बहुसंख्यक समुदाय में सपा को लेकर अनावश्यक रूप से गलत संदेश गया।
सूत्रों के मुताबिक, अगले लोकसभा चुनाव में अपने लिए बहुत उम्मीदें पाले सपा खुद की छवि को लेकर बहुत सतर्क है। लिहाजा, वह अपने सांसदों, विधायकों व नेताओं पर भी कार्रवाई में कोताही नहीं बरत रही है। बताते हैं कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश में तीन सपा विधायकों पर कार्रवाई सपा की उसी रणनीति का हिस्सा है। यह बात अलग है कि पार्टी के कई दूसरे विधायक अपनी आदतों में सुधार को नहीं तैयार हैं।
आलम यह है कि पूर्वाचल के दो सपा विधायकों ने अपने जिलों में डीएम को अपनी शर्तो पर नौकरी को मजबूर कर रखा है। जमीन पर कब्जे को लेकर रायबरेली के एक सपा विधायक पर शिकंजा कसा जा चुका है, जबकि बगल के जिले में एक दूसरे विधायक भी ऐसी ही गतिविधियों में सक्रिय हैं।
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