ईस्ट यॉर्क वैक्सीनेशन क्लिनिक पहुंची 10,000 से अधिक डोजेस
टोरंटो। द ईस्ट टोरंटो पार्टनरस (ईटीएचपी) में बनाएं गए अस्थाई क्लिनिक में रविवार शाम तक लगभग 10,000 से अधिक डोजस के पहुंचने से एक नया प्रोत्साहन पैदा हो गया हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार ईस्ट यॉर्क टाऊन सेंटर पर स्थित इस क्लिनिक में इतनी बड़ी खेप के पहुंचने से वैक्सीनेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत अधिक मदद मिलेगी। अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि जल्द ही हम 18 से अधिक आयु के सभी निकटवर्ती लोगों को वैक्सीन का कार्य आरंभ करेंगे जिससे अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा सके। सूत्रों के अनुसार फिलहाल सभी को फाईजर वैक्सीन की पहली खुराक दी जाएंगी। आपूर्ति के अनुसार वैक्सीन उपलब्ध होने से कार्यों में तेजी लाने में सहयोग मिलेगा और लोगों को संक्रमण से बचाने में भारी मदद भी मिल सकेगी। अधिकारी ने यह भी बताया कि दोनों डोजस के मध्य कम से कम दो सप्ताह का अंतराल रखा जाएगा जिससे लोगों की बॉडी में इम्युनिटी बढ़ना आरंभ हो सके। माईकल गैरॉन अस्पताल के गंभीर उपचार चिकित्सक डॉ. माईकल वारनर ने बताया कि लोगों को सनी डे के दिन इस वैक्सीन लगवाने में मदद मिलेगी। टोरंटो लोक स्वास्थ्य के अनुसार इन डोजस को उन लोगों तक पहुंचाया जाएगा जिन्हें इनकी आवश्यकता सबसे अधिक होगी। क्लिीनिक अधिकारियों का यह भी मानना है कि आगामी लक्ष्य में यह विचार किया जा रहा है कि लगभग 50 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक डोज लग सके यह योजना बनाई जा रही हैं। पील प्रांत के अनुसार गत 32 घंटे में लगभग 5,000 डोजस के वितरण की योजना तैयार की गई थी, जिसकी पुख्ता जानकारी आंकड़ों के पता चलने पर ही दी जाएंगी। डॉ. माईकल वारनर ने यह भी बताया कि अब कोविड-19 संक्रमण नहीं होगा यह गलत हैं, सावधानी बनाएं रखनी होगी और सतर्कता के साथ ही आगामी जीवन को व्यतीत करना होगा। उन्होंने अपने संदेश में स्पष्ट कहा कि संक्रमण के प्रसार का खतरा अभी भी बना हुआ हैं और दूसरी डोज के बाद भी इसके प्रसारित होने की संभावना हैं जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि संक्रमण की चैन टूट नहीं गई हैं तब तक पूरी तरह से सामान्य होना अनुचित होगा। उन्होंने आगे कहा कि अभी भी खतरा बना हुआ हैं, यद्यपि पहले की तुलना में स्थितियों में सुधार आया हैं परंतु अभी भी यह कहना कि हम महामारी के प्रकोप से बाहर आ गए हैं अनुचित होगा। उन्होंने यह भी माना कि अभी भी देश में युवा वर्ग को इतनी अधिक वैक्सीनेशन प्रोग्रामों से जोड़ा नहीं गया हैं जिससे खतरा बने रहने की संभावना जताई गई हैं।
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