कैनेडा में जातिसंहार के प्रमाण प्रस्तुत कर रहे है आदिवासी बच्चों के कंकाल : विशेषज्ञ
औटवा। गत दिनों ब्रिटीश कोलम्बिया के एक प्राचीन स्कूल की खुदाई में बच्चों के 215 से अधिक कंकाल या अवशेष का पाया जाना इस बात को प्रमाणित करता है कि आज से कुछ दशक पूर्व कैनेडा में जातिसंहार का प्रचलन था। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए रायरसन यूनिवर्सिटी के लॉ प्रौफेसर पामेला पालमेटर ने कहा कि यह घटना इस बात का प्रमाण दे रही हैं कि देश में जातिसंहार प्रचलित था, जिसके कारण अश्वेत समुदाय से संबंधित बड़े या बच्चों सभी के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था, इस घटना के शोध में यह भी कहा गया कि ब्रिटिश कोलंबिया के सैलिश भाषा बोलने वाले एक समूह फर्स्ट नेशन की प्रमुख रोसेन कैसमिर ने एक समाचार विज्ञप्ति में कहा कि जमीन के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने वाले रडार की मदद से गत सप्ताहांत ये शव मिले। उन्होंने शुक्रवार को बताया कि और शव मिल सकते हैं क्योंकि स्कूल के मैदान पर और इलाकों की तलाशी ली जानी है। उन्होंने कहा कि ये शव एक ऐसी क्षति है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती और कमलूप्स इंडियन रेजीडेंशियल स्कूल के दस्तावेजों में कभी इसका जिक्र नहीं किया गया। बताया जाता है कि 19वीं सदी से 1970 के दशक तक फर्स्ट नेशन के 150,000 से अधिक बच्चों को उन्हें कैनेडियन समाज में अपनाने के कार्यक्रम के तौर पर सरकार के वित्त पोषण वाले ईसाई स्कूलों में पढ़ना होता था। उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तन के लिए विवश किया जाता और अपनी मातृ भाषा बोलने नहीं दी जाती थी। कई बच्चों को पीटा जाता था तथा उन्हें अपशब्द कहे जाते और ऐसा बताया जाता है कि उस दौरान 6,000 बच्चों की मौत हो गयी थी। ट्रूथ एंड रिकांसिलिएशन कमीशन ने पांच वर्ष पहले संस्थान में बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर विस्तृत रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया गया कि दुर्व्यवहार एवं लापरवाही के कारण कम से कम 3200 बच्चों की मौत हो गई। इसमें बताया गया कि कैमलूप्स स्कूल में 1915 से 1963 के बीच कम से कम 51 मौत हुई थी। कैनेडियन सरकार ने 2008 में संसद में माफी मांगी थी और स्कूलों में शारीरिक तथा यौन शोषण की बात स्वीकार की थी। ब्रिटिश कोलंबिया के प्रमुख नेता जॉन होर्गन ने कहा कि इन शवों के मिलने के बारे में जानकर वह ”भयभीतÓÓ हैं और उनका ”दिल टूट गया है।ÓÓ कमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक संचालित हुआ था।
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