गरीब देशों को कैनेडा देगा 13 मिलीयन की कोविड-19 वैक्सीन : ट्रुडो
संयुक्त राष्ट्र। प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने अपना वादा दोहराते हुए कहा कि जल्द ही कैनेडा दुनिया के अन्य गरीब देशों के लिए 13 मिलीयन की मात्रा में कोविड-19 वैक्सीन का अनुदान सुनिश्चित करेगा। रविवार को इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने कहा कि जी 7 में सभी विकसित और विकासशील देशों ने दुनिया के अन्य गरीब देशों की मदद के लिए आगे आने का प्रण लिया हैं। ब्रिटेन में आयोजित जी 7 सम्मेलन में मित्र देशों ने महामारी, जलवायु परिवर्तन, चीन जैसे मुख्य मुद्दों पर गहन चर्चा की। ट्रुडो ने पत्रकारों को बताया कि कैनेडा ने अपना वादा निभाते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि 13 मिलीयन डोजस दुनिया के उन गरीब देशों को दान किया जाएगा जिन्हें इसकी बहुत अधिक आवश्यकता हैं, ज्ञात हो कि कैनेडा ने पूर्व में ही 87 मिलीयन डोजस का भुगतान एसीटी-एकेलेरेटर को कर दिया गया हैं। सम्मेलन के अंतिम संबोधन में उन्होंने कहा कि मित्र देशों ने इस बात पर भी रजामंदी की हैं कि अगले वर्ष तक इन गरीब देशों को एक बिलीयन डोजस से अधिक की आपूर्ति की जाएंगी जिससे इन देशों की जनसंख्या भी इस महामारी के प्रकोप से बच सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि इस महामारी के अंत हेतु विश्व की कुल जनसंख्या के 70 प्रतिशत का वैक्सीनेशन होना अनिवार्य हैं। प्रधानमंत्री ने देश को मिलने वाली डोजस के लिए फाईजर-बायोनटेक और मॉर्डना आदि के साथ भी गहन चर्चा की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन निर्माण कंपनियों में भी कैनेडा ने 2.5 बिलीयन डॉलर के निवेश की योजना तैयार की हैं जिसका कार्यन्वयण जल्द ही आरंभ होगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीएवा ने रविवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के कार्यक्रमों को समर्थन देना दुनिया के सबसे अमीर देशों की नैतिक जिम्मेदारी है। साथ ही जोर दिया कि अतिरिक्त टीके दान करना इस ओर पहला कदम होना चाहिए। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि जी-7 नेता गरीब देशों को कोविड-19 टीके की कम से कम एक अरब खुराकें देने पर सहमत होंगे। पीएम के इस बयान के बाद क्रिस्टलीना जॉर्जीएवा ने एक ऑनलाइन प्रेसवार्ता के दौरान यह टिप्पणी की। मानवीय समूहों ने टीके दान देने की पेशकश का स्वागत किया है। हालांकि, ऐसे विकासशील देशों में टीका उत्पादन एवं उपकरण सहायता के लिए धन मुहैया कराने का आह्वान किया गया है, जहां वायरस का प्रकोप अभी भी बरकरार है। जॉर्जीएवा ने कहा कि दान देना एक अच्छा कदम है लेकिन टीका लाभार्थियों तक पहुंचने के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ”यह नैतिक जिम्मेदारी होने के साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहद आवश्यक भी है क्योंकि हम दुनिया को दो अलग-अलग रास्तों पर जाने नहीं दे सकते।” आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि एक तरफ जहां जी-7 राष्ट्रों की लगभग आधी आबादी टीके की पहली खुराक ले चुकी है, वहीं, वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा करीब 13 फीसदी है जबकि अफ्रीका में यह केवल 2.2 फीसदी है। उन्होंने कहा कि लड़ाई अभी तक जीती नहीं गई है।
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