कैनेडा के नाम से कोसों दूर से जाल में फंसा लेते हैं शिकार
टोरंटो, वक्त के साथ ठगों के अंदाज भी बदले हैं। आंखों से सुरमा तक चुरा लेने में माहिर जालसाज फुटपाथ से उठकर आलीशान दफ्तर में आ चुके हैं। कंधे पर गठरी और हाथ में नकली सोने का टुकड़ा लेकर मूर्ख बनाने वाले बहुत पीछे रह गए। जमाना तकनीक का है। भला जालसाज क्यों पीछे रहते! यही वजह है कि ई-तकनीक का फायदा उठाने वालों में एक बड़ा वर्ग ठगों का भी है। इसकी वजह से उनका नेटवर्क देश के कोने-कोने तक फैल चुका है। दफ्तर, फोन या फिर बैंक खाता, सब कुछ फर्जी नाम-पते पर है। बाजारवाद की तरह उनकी आंखें भी युवाओं पर टिकी हैं। युवाओं के सुनहरे सपनों को हवा देकर तो कहीं लालच के लॉलीपॉप से चूना लगाना ही उनका लक्ष्य है। पुलिस की दलील होती है कि शिकायत में देरी से आरोपी बच निकलते हैं। लेकिन, ठगी का शिकार युवाओं का दर्द देखिए, एक तरफ सपने बिखरने का दुख तो दूसरी तरफ रुपया हाथ से जाने का मलाल। हद तो तब होती है, जब पुलिस के पास जाकर भी फायदा नहीं मिलता। पहले सीमा विवाद फिर लंबी पड़ताल। जालसाज तब तक दुकान बढ़ाकर कहीं और ठिकाना बना लेते हैं। युवाओं को सचेत करते हुए पेश है ठगी के धंधे से जुड़े कुछ पहलुओं पर श्रृंखला की पहली कड़ी :
जालसाजों के निशाने पर है युवा वर्ग
पंजाब में रहने वाले उत्कर्ष की नजर अपनी ईमेल आइडी पर आए अमेरिकन एक्सप्रेस के जॉब ऑफर पर पड़ी तो उसकी आंखों में चमक आ गई। लंबे इंतजार के बाद लगा, मानो मुराद पूरी हो गई। घरवालों को बताया, यार-दोस्तों को फोन किया। जब ईमेल में दिए गए फोन नंबर पर संपर्क किया तो ट्रेनिंग, आना-जाना आदि तमाम खर्च गिनाकर धीरे-धीरे उससे ढाई लाख रुपये वसूल लिए गए। बाद में असलियत पता चली तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। शिकायत करने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आए संतोष शर्मा व रत्ना शर्मा ने बताया कि अकेला उत्कर्ष नहीं, उन्होंने 166 युवाओं को सुनहरे भविष्य के सपने दिखाकर 14 करोड़ रुपये हड़पे थे। उनका शिकार बने युवाओं में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड के थे।
इसी तरह युवाओं की विदेश में नौकरी की प्रबल चाहत का फायदा उठाकर शातिर जितेंद्र ने कैनेडा की लॉ कंपनी जैकमन वल्दमन एंड एसोसिएट्स में नौकरी के नाम पर 50 युवाओं से करोड़ों हड़प लिए।
फर्जी वेबसाइट का प्रयोग
बरेली में मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स के नाम से बनाई गई फर्जी वेबसाइट के माध्यम से युवाओं से नौकरी के नाम पर ठगी के मामले सामने आए। वहीं, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) व रेलवे भर्ती बोर्ड, मुजफ्फरपुर आदि नाम से बनाई गई फर्जी वेबसाइट का प्रयोग ठगी में किया गया। पंजाब की मुक्केबाज खिलाड़ी शिव कुमारी तो ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद स्थित सीआइएसएफ मुख्यालय तक जा पहुंची। वहां उसे पता चला कि न सिर्फ उसका नियुक्ति पत्र फर्जी है बल्कि जिस वेबसाइट से उसे डाउनलोड किया गया, वह भी फर्जी है।
जांचने-परखने की आदत डालें
देखकर हैरानी होती है कि कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ एमबीए, इंजीनियरिंग, एमसीए तथा लॉ स्नातक भी जालसाजों के शिकंजे में फंस रहे हैं। नौकरी की जरूरत सबको है, यह सही है लेकिन घर बैठे कोई नौकरी देता है क्या? आपने कहीं आवेदन ही नहीं किया तो वहां से एकाएक आपको नौकरी का ऑफर कैसे आ सकता है? कोई भी कंपनी नौकरी देने के नाम पर आपसे रुपये नहीं मांगती। इन सब बातों को ध्यान में रखना होगा।
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