यदि चुनाव हुए, तो कंसरवेटिव प्रीमियर्स किस प्रकार संभालेगें परिस्थितियों को?

औटवा। 16 माह की वैश्विक महामारी के पश्चात यदि देश में चुनावों की घोषणा होती हैं तो जनता के साथ साथ यह प्रीमियरों के लिए भी कड़ी चुनौती होगी? देश के प्रत्येक राज्य में इस समय कोविड-19 महामारी के कारण गहरा आर्थिक संकट आया हुआ हैं और वहीं दूसरी ओर सरकारों पर स्कूलों को खोलने, अस्पतालों में और अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने आदि का दबाव बढ़ता जा रहा हैं। इस दौरान जानकारों का मानना है कि यदि आम चुनाव घोषित किए जाते हैं तो इस समय जिन राज्यों में कंसरवेटिवस पार्टी की सरकारें हैं वे अपने कार्यों को जनता के सामने कैसे प्रस्तुत करेंगी? कंसरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ योजनाकार और सलाहकार अलीस मिल्स का कहना है कि इस समय प्रत्येक व्यक्ति देश में बदलाव की उम्मीद तो कर रहा हैं परंतु इसके लिए संबंधित नेताओं और पार्टियों के पास उतनी ऊर्जा होनी चाहिए जिसके प्रभाव से वे लोगों पर अपना वर्चस्व बना सके और उन्हें इस बात के लिए संतुष्ट कर सके कि केंद्र में कंसरवेटिव सरकार ही श्रेष्ठ हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि दो वर्ष पूर्व जहां पीसी पार्टी की सरकारों ने प्रधानमंत्री ट्रुडो के कार्बन प्राईसींग वाले कानून को अपने-अपने राज्यों में लागू करने से मना कर दिया था और लोगों पर अधिक करों का भार न डालने की सिफारिश के अंतर्गत इस कानून को अपने राज्य में नहीं प्रस्तावित किया था, अब वे भी गहरे वित्तीय दबाव के कारण अन्य कर नीतियों में बदलाव की ओर अग्रसित हो रहे हैं। इस कारण से जनता पर से उनका विश्वास समाप्त होता प्रतीत हो रहा हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री के साथ सासकेटचवान के प्रीमियर स्कोट मू और अल्बर्टा के प्रीमियर जेसॉन कैनी की भी भेंटवार्ता इस बात की अटकलों को तेज कर रही हैं कि केंद्र सरकार अपना सहयोग बढ़ाने के लिए इन सरकारों को आगामी भविष्य की योजनाओं में शामिल करने का प्रलोभन दे रही हैं। वहीं राज्य की सरकारों ने इस बात को भी माना है कि इस समय केंद्र सरकार उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं को चालू रखने के लिए केवल 22 प्रतिशत का कुल सहयोग दे रहीं हैं जबकि राज्यों ने उनसे 35 प्रतिशत की मदद की मांग की हैं जिसके लिए अभी तक कोई भी अधिकारिक जवाब केंद्र के पास से नहीं आ पाया हैं। इससे पूर्व अल्बर्टा में अक्टूबर में होने वाले नगरपालिका के चुनावों पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। विशेषज्ञों की राय भी यहीं है कि इस समय कैनी और फोर्ड जैसे पीसी प्रीमियरों को जनता की राय लेकर ही आगामी चुनावों के लिए योजना बनानी चाहिए जिसके पश्चात कोई भी निर्णय सार्थक हो सकेगा अन्यथा महामारी काल में देश पर और अधिक वित्तीय संकट का दबाव किसी बड़ी आर्थिक समस्या को जन्म दे देगा जिससे बचना बहुत मुश्किल हो जाएंगा और देश में एक अलग ही अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त हो जाएंगा।

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