कोविड-19 वैक्सीन के मिक्स प्रयोग पर कैनेडियन अधिकारियों ने दिया अपना पक्ष
- पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस विषय पर दिए बयान के पश्चात वैक्सीन के मिक्स प्रयोग पर कई सवाल उठाएं जा रहे थे
टोरंटो। सोमवार को डब्ल्यू एच ओ द्वारा मिक्स वैक्सीन के प्रयोग को ”खतरनाक” श्रेणी में लाने पर कैनेडियन स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसके बचाव में अपना पक्ष रखा, इस बारे में ऑनलाइन चर्चा के दौरान डब्लयू एच ओ के मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने पत्रकारों को स्पष्ट कहा कि इस प्रकार से मिक्स वैक्सीन डोजस को लेना भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता हैं अभी तक इस प्रकार से मिक्स डोजस लेने के उचित डाटा प्राप्त नहीं हो सके हैं, इसलिए इस प्रक्रिया को मान्यता देना अनुचित होगा। स्वामीनाथन ने आगे कहा कि इस प्रक्रिया को पूर्णत: गलत भी नहीं कहा जा सकता, परंतु जब तक इसके वास्तविक परिणाम सामने नहीं आ जाते तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, तथ्यों ओर आंकड़ों पर विचार विमर्श के पश्चात ही कोई भी निर्णय लिया जाना चाहिए जिससे लोगों को इसका सही लाभ मिल सके। ज्ञात हो कि पिछले माह कैनेडा की राष्ट्रीय सलाहकार कमेटी ने स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि फाइजर और मॉर्डना को एमआरएनए के साथ मिश्रित रुप से प्रयोग करने पर यह वहीं लाभ देगें जो किसी भी कंपनी की दो डोजस देती हैं। कोरोना वैक्सीन की दो खुराक अलग अलग कंपनियों की हो सकती है। ऐसी सलाह कैनेडा में इम्युनाइजेशन पर काम करने वाली कमेटी ने दी है। कमेटी ने कहा है कि यदि लोग चाहें तो पहली खुराक एस्ट्राजेनेका की और दूसरी मॉडर्ना या फाइजर की हो सकती है।
ब्रिटेन के एक प्रख्यात शोधकर्त्ता कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति फाईजर-बायोनटेक की डोज लगवाता हैं और उसके ठीक चार सप्ताह पश्चात वह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका वैक्सीन लेता हैं तो उसकी इम्युनिटी पावर अन्य वैक्सीनों की तुलना में बहुत अच्छी रहेगी। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इसी प्रकार की एक रिपोर्ट जर्मनी और स्पेन की कंपनियों ने भी दी थी जिसमें मिक्सींग डोजस को सिंगल यूज से अधिक कारगर बताया गया। ज्ञात हो कि गत 17 जून को कैनेडा की राष्ट्रीय सलाहाकार कमेटी ने भी मानव शरीर की आंतरिक शक्ति बढ़ाने के लिए कारगर साबित होने वाली वैक्सीनों में इसी प्रक्रिया को उत्तम बताया। इस रिपोर्ट में भी यहीं कहा गया कि यदि पहली डोज एस्ट्राजैनेका की ली गई है तो अगली डोज एमआरएनए के साथ किसी भी अन्य कंपनी की ली जा सकती हैं और इसमें सुरक्षा के सभी आयाम अच्छे हैं जिन पर विश्वास किया जा सकता हैं। प्रारंभ में मरीजों को ब्लड कोटिंग आदि समस्याओं से जूझना पड़ा परंतु अब ऐसी कोई घटना सामने नहीं आने से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मिश्रण की तकनीक कारगर साबित हो रही हैं और इसमें किसी अन्य प्रकार का कोई खतरा भी नहीं है।
कोरोना महामारी से बचाव के लिए अब तक दुनिया में एकमात्र उपाय वैक्सीन ही उभर कर सामने आ रहा है। इस क्रम में दुनिया के तमाम देशों में तेजी से वैक्सीनेशन अभियान जारी है। अब कैनेडा में वैक्सीन पर रिसर्च करने वाली एडवाइजरी कमिटी ने सलाह दी है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक एक ही ब्रांड की हो यह जरूरी नहीं। इसके अनुसार पहली खुराक एस्ट्राजेनेका तो दूसरी मॉडर्ना या फाइजर भी हो सकती है। कैनेडा की नेशनल एडवाइजरी कमिटी ने गुरुवार को टीकाकरण के मामले में बयान जारी किया। इसमें बताया कि जिन्होंने कोरोना वैक्सीन एस्ट्राजेनेका लिया है उन्हें दूसरे डोज के तौर पर फाइजर या मॉडर्ना लेनी चाहिए। गत 1 जून को कमिटी ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन लाभार्थी पहले डोज में एस्ट्राजेनेका और दूसरे डोज में फाइजर या मॉडर्ना ले सकते हैं।
कमिटी ने अपने पहले दिए गए सुझाव को भी अपडेट किया कि जिन लोगों को कोविड-19 का जोखिम अधिक है वे फाइजर या मॉडर्ना के लिए इंतजार न करें और एस्ट्राजेनेका की खुराक लें। कैनेडा की चीफ पब्लिक हेल्थ ऑफिसर डॉक्टर थेरेसा टैम ने कहा,”जिन्होंने एस्ट्राजेनेका या कोविशील्ड की दोनों खुराक ले ली है उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त रहना चाहिए। उन्हें इस वक्त तीसरे खुराक की जरूरत नहीं है।” जर्मनी की सारलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार एस्ट्राजेनेका की दोनों खुराक की तुलना में एक खुराक एस्ट्राजेनेका के बाद दूसरी खुराक के तौर पर फाइजर दिए जाने या दोनों खुराक फाइजर की ही देने पर अधिक एंटीबॉडी बनते हैं। 5 जून तक 2 लाख 10 हजार लोगों को एस्ट्राजेनेका की एक खुराक दी गई और 15,186 लोगों को दोनों खुराकें मिल गई। कैनेडा में अब तक फाइजर और मॉडर्ना की 1 करोड़ 40 लाख खुराक पहुंच चुकी है।
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