संभावित चुनावों में ट्रुडो की लिबरल विपक्षी पार्टियों पर भारी पड़ सकती हैं : ऑनलाईन पोल
औटवा — जहां एक ओर देश में आम चुनावों की संभावना बढ़ती जा रही हैं वहीं पिछले दिनों ताजा ऑनलाईन पोल की रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया हैं। लेजर और द एसोसिएशन फॉर कैनेडियन स्टडीज का मानना है कि वर्तमान सत्तारुढ़ पार्टी लिबरल एक बार फिर से जनता की पसंदीदा बन रही हैं, संभावित चुनावों में लिबरल अपनी अन्य विपक्षी पार्टियों पर भारी पड़ सकती हैं। इस ऑनलाईन पोल में यह स्पष्ट बताया गया कि लिबरल अभी भी देश के उन्नतीस प्रतिशत जनता की पहली पसंद हैं जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कंसरवेटिवस केवल 24 प्रतिशत जनता की पसंद हैं तो वहीं इस बार एनडीपी की साख में गिरावट देखी गई और 16 प्रतिशत लोगों ने ही एनडीपी को सत्ता में आने की उम्मीद जताई, वहीं ब्लॉक क्यूबेकोईस और ग्रीन पार्टी को क्रमश: सात व चार प्रतिशत पर ही संतोष करना होगा तो वहीं पीपुल्स पार्टी ऑफ कैनेडा तीन प्रतिशत के लोगों की पसंद पर सीमित रहीं। ज्ञात हो कि यदि प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो की अपील पर चुनाव आयोग ने अपना निर्णय दिया तो अगले कुछ महीनों के पश्चात देश में आम चुनाव हो सकते हैं, लेकिन ये चुनाव देश की विपक्षी पार्टियों के लिए किसी भी प्रकार से सुखद परिणाम लेकर नहीं आ सकते, कैनेडियनस के मन में अभी भी प्रधानमंत्री ट्रुडो के प्रति विश्वास विद्यमान हैं और कोविड काल में देश में किए प्रबंधों को लेकर जनता उनसे आश्वस्त हैं।
लोगों का यह भी मानना है कि इस समय देश को ट्रुडो जैसे सुलझे नेतृत्व की आवश्यकता हैं जो देश में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया के अन्य देशों के साथ ताल-मेल बनाते हुए भविष्य की समस्याओं पर नियंत्रण प्राप्त कर सके। अमेरिका और मैक्सिकों आदि देशों के साथ उत्तम व्यापारिक नीतियों के कारण भी लिबरल सरकार सभी की पसंद बन रही हैं। इसके अलावा वैक्सीनेशन के वितरण संबंधी प्रबंधों के कारण भी लिबरल की योजनाओं को देश में पसंद किया जा रहा हैं। वहीं दूसरी ओर पीसी पार्टी में पिछले एक वर्ष में बार-बार नेतृत्व में बदलाव और पार्टी के आंतरिक विवादों के समाचारों ने लोगों के मन में यह शंका भर दी हैं कि यह देश का नेतृत्व सुचारु कर सकेगें या नहीं? वही यदि ये चुनाव होते हैं तो सबसे अधिक नुकसान एनडीपी को होने वाला हैं, जहां पिछले आम चुनाव में एनडीपी की ख्याति अपनी चरम पर रहीं तो इस चुनाव में लोगों का दिल नहीं जीत पाएंगी। अब यह देखना है कि नवनियुक्त गर्वनर जनरल इस वर्ष आम चुनावों के लिए रजामंदी देती हैं या नहीं?
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