अमेरिकन डेडलाईन से पहले काबुल छोड़ सकती हैं कैनेडियन मिल्ट्री : मरीयम मॉनसेफ
टोरंटो। कैनेडियन मिल्ट्री को लेकर लिबरल पार्टी के प्रमुख कैबीनेट मंत्री मरीयम मॉनसेफ ने पत्रकारों को बताया कि अमेरिकन डेडलाईन से पूर्व ही कैनेडियन सेना काबुल छोड़ सकती है। रक्षामंत्री हरजीत सज्जन ने यह भी कहा कि अभी तक इस बारे में कोई भी अधिकारिक घोषणा नहीं हुई हैं परंतु संभावना लगाई जा रही है कि आगामी 31 अगस्त से पूर्व अवश्य ही कैनेडियन सेना काबुल छोड़ सकती है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों जी-7 की वर्चुअल बैठक में भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बारे में अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी बात नहीं मानी। काबुल में अमेरिकन सैनिकों की स्वदेश वापसी पर प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जहां जी-7 की वर्चुअल बैठक में अन्य मित्र देश बाइडन पर इस बात पर जोर देने के लिए कह रहे थे कि समय सीमा को बढ़ाया जाएं, वहीं प्रधानमंत्री ट्रुडो ने इस प्रस्ताव पर अपनी निजी टिप्पणी देने से अपना बचाव किया, माना जा रहा है कि चुनावी सरगर्मियों के कारण इस समय प्रधानमंत्री कोई भी बड़ा बयान देने से बच रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का मानना है कि अफगानिस्तान संकट को सुलझाने के लिए वे अपने व मित्र देशों के सैनिकों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते इसलिए उन्होंने सैनिकों की जल्द से जल्द स्वदेश वापसी का रास्ता साफ कर दिया हैं, नागरिकों की सुरक्षा पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग सभी देशों ने अपने-अपने नागरिकों को काबुल से निकाल लिया हैं और वहां के स्थानीय लोगों के बारे में संयुक्त राष्ट्र विचार कर रही हैं जिसके लिए पूरी दुनिया उनके निर्देशों का पालन करेगी।
ज्ञात हो कि राष्ट्रपति जो बाइडन के अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक सैनिकों की वापसी पर अड़े रहने को लेकर अमेरिका का अपने कुछ करीबी सहयोगियों से टकराव हुआ क्योंकि इस समयसीमा के बाद तालिबान के शासन के बीच, लोगों को युद्धग्रस्त देश से निकालने के प्रयास बंद हो जाएंगे। बाइडन ने जी7 के नेताओं के साथ मंगलवार को वर्चुअल बातचीत में इस बार पर जोर दिया कि अमेरिका और उसके करीबी सहयोगी अफगानिस्तान और तालिबान पर भविष्य की कार्रवाई में ”एक साथ खड़े रहेंगे”।
हालांकि उन्होंने वहां से लोगों को निकालने के लिए और समय देने के उनके आग्रह को ठुकरा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात पर अड़े रहे कि जी-7 नेताओं की अपीलों को मानने पर आतंकवादी हमलों का खतरा अधिक है। काबुल हवाईअड्डे पर अब भी अमेरिका के 5,800 सैनिक मौजूद हैं। कैनेडा और अन्य सहयोगी देशों ने बाइडन से अमेरिकी सेना को काबुल हवाईअड्डे पर और अधिक वक्त तक रखने का अनुरोध किया था। सहयोगी देशों के अधिकारियों ने कहा था कि कोई भी देश अपने सभी नागरिकों को निकाल नहीं पाया है। 31 अगस्त के बाद भी हवाईअड्डे पर सैनिकों की मौजूदगी बनाए रखने की वकालत करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, ”हम अंतिम क्षण तक प्रयास करेंगे।”
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