चुनाव प्रचार में अफगानिस्तान संकट पर बोलने से बच रहे हैं प्रमुख नेता : सोर्स
टोरंटो। पिछले कई दिनों से अफगानिस्तान की स्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं, स्थानीय लोगों पर तालिबानियों का अत्याचार बढ़ता जा रहा हैं, लोग इधर-उधर भाग रहे हैं, दूसरे देशों में शरण लेने के लिए बार-बार अपील जारी की जा रही हैं। इन सभी स्थितियां के बावजूद कैनेडा में आम चुनावों की घोषणा हुई, जिसके कारण कैनेडा में स्थितियां बदली नजर आ रही हैं। एनडीपी प्रमुख जगमीत सिंह ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लिबरल प्रमुख जस्टीन ट्रुडो पर निशाना साधते हुए कहा कि इस समय कैनेडियन पूर्व सरकार शरणार्थियों को लाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही, यह बहुत बड़ी विडम्बना हैं, जहां पहले सरकार ऐसी स्थितियां से निपटने के लिए शरणार्थियों को देश में आने की अनुमति दे देती थी, वहीं अब निष्कासन प्रक्रिया में इतनी अधिक ढ़िलाई क्यों हो रही हैं?
ज्ञात हो कि जगमीत सिंह पूर्व एनडीपी प्रमुख लेक लेटॉन की 10वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रृद्धांजलि देते हुए इस विषय पर बोल रहे थे, ज्ञात हो कि लेक लेटॉन ने देश में एनडीपी को एक नए मुकाम पर खड़ा किया था, लेटॉन ने आठ वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व किया, जिस दौरान एनडीपी ने कई नए मुकाम हासिल कर एक अलग ही पृष्ठभूमि तैयार की थी, जिसके कारण आज भी कैनेडा में एनडीपी का प्रसार हो रहा हैं। सिंह ने अपने सदेंश में यह भी माना कि उन्हें हमेशा इस बात की हैरानी रहेगी कि जस्टीन ट्रुडो ने कोरोना काल और अफगानिस्तान संकट के मध्य भी आम चुनावों की घोषणा कर कैनेडियन जनता पर अतिरिक्त भार क्यों डाला? उन्होंने इस बात पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में हो रहे नरसंहार को रोकने के लिए वैश्विक संगठनों को आगे आना चाहिए और इस संकट से निपटने के लिए कठोर निर्णयों की घोषणा करनी चाहिए जिससे स्थितियां नियंत्रण में आ सके।
वहीं दूसरी ओर जस्टीन ट्रुडो ने बताया कि यह प्रयास पूर्व कैनेडियन सरकार के लिए काम करने वाले हजारों अफगानों, जैसे दुभाषियों, दूतावास के कर्मचारियों और उनके परिवारों के स्वागत के लिए पहले की पहल के अतिरिक्त है। उन्होंने कहा कि जैसा कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करना जारी रखा है, इससे कई और अफगानों की जान पर खतरा बढ़ रहा है। मेंडिसिनो ने कहा कि कैनेडा की नई योजना उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करेगी जो विशेष रूप से कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि इसमें उन दोनों लोगों को शामिल किया गया है जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं और जो पहले से ही पड़ोसी देशों में हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है, क्योंकि सरकारी बल पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। मेंडिसिनो ने कहा कि हम जानते हैं कि वहां स्थिति गंभीर है और यह हर घंटे खराब होती जा रही है। इसके साथ ही रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने कहा कि कैनेडा ने अफगानिस्तान से कमजोर अफगान सिख और हिंदू परिवारों के एक समूह को फिर से बसाने के लिए मनमीत सिंह भुल्लर फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के एक द्वार पर गोलीबारी में अफगानिस्तान के कम से कम एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान सरकार के सुरक्षा बल भाग निकले हैं लेकिन कुछ हथियारबंद अफगान काबुल हवाईअड्डे पर मौजूद हैं और वहां से लोगों को निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहे पश्चिमी देशों एवं अन्य की मदद कर रहे हैं। यह साफ नहीं है कि वे अफगान सीमा बलों से हैं या नहीं जो कभी हवाईअड्डे की सुरक्षा में तैनात रहते थे या फिर वे पश्चिमी सेनाओं के साथ निजी सुरक्षा गार्डों के रूप में तैनात हैं जो अभी फिलहाल वहां की सुरक्षा को देख रही है। सोमवार तड़के, मुठभेड़ हवाईअड्डे के उत्तरी द्वार पर हुई। गोलीबारी किसने शुरू की और किन हालात में हुई यह भी अभी साफ नहीं है। जर्मन सेना ने ट्वीट करके बताया कि सोमवार को स्थानीय समयानुसार करीब पौने सात बजे हुई इस मुठभेड़ में अफगानिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए हैं। अमेरिकी सेना और नाटो ने गोलीबारी की घटना के बारे में अभी कुछ नहीं कहा है।
तालिबान ने भी घटना की पुष्टि नहीं की है। तालिबान ने अफरा तफरी भरे बचाव अभियान के लिए अमेरिकी सेना को दोष दिया है और कहा है कि अफगान लोगों को उससे डरने की जरूरत नहीं हैं। हवाईअड्डे की परिधि में एकत्र भीड़ को काबू में करने के लिए तालिबान के लड़ाकों ने हवा में गोली चलाई और लोगों पर लाठियां चलाईं। काबुल हवाईअड्डे पर इस्लामिक स्टेट से संबंधित स्थानीय संगठनों द्वारा हमले का भी खतरा है। इस बीच काबुल से 120 किमी दूर उत्तर में बगलान प्रांत में स्वयं को ‘जन विद्रोह’ से जुड़ा बताने वाले लड़ाकों ने हिंदुकुश में अंदराब घाटी में तीन जिलों पर कब्जा करने का दावा किया। अन्य पंजशीर प्रांत में जमा हुए जो अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से इकलौता ऐसा प्रांत है जहां तालिबान कब्जा नहीं कर सका है। तालिबान के प्रवक्ता जबील्ला मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत को घेरना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रहे अमरूल्ला सालेह ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान लड़ाके प्रांत के आसपास एकत्रित हो गए हैं।मुजाहिद ने कहा कि तालिबान की योजना पंजशीर के लोगों से बात करने की है। उन्होंने कहा, ”अभी तक तो वहां लड़ाई नहीं हो रही। हम पंजशीर के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहते हैं।
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