टूटू की मौत पर प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया में रंगभेद के लिए आवाज उठाने वाला हमेशा के लिए चला गया
On Tutu's death, the Prime Minister said, the one who raised his voice for apartheid in the world is gone forever
औटवा। दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद संघर्ष के प्रतीक आर्चबिशप डेसमंड टूटू के निधन पर पूरी दुनिया शोक मना रही हैं। बीते काफी समय से वह बीमार चल रहे हैं। उनके निधन पर प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो व अन्य कैबीनेट मंत्रियों ने इस असमय मौत पर गहरा दु:ख ठहराया हे।
ज्ञात हो कि दक्षिण अफ्रीका के इस महान व्यक्ति ने रंगभेद के अभिशाप को मिटाने के लिए कई उत्कृष्ट कार्य किए, जिसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार इस बात की घोषणा सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोंसा ने अपने संदेश में कही कि रविवार तड़के टूटू ने अपनी अंतिम सांसें ली, वह 90 वर्ष के थे। वह नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाले अंतिम जीवित दक्षिणी अफ्रीकी थे।
पूर्व में तपेदिक को मात दे चुके टूटू ने 1997 में प्रोस्टेंट कैंसर की सर्जरी करवाई थी। हाल ही के वर्षों में उन्हें कई-कई बीमारियों के कारण कई बार अस्पताल भी जाना पड़ा था। ट्रुडो ने अपने संदेश में यह भी कहा कि कैनेडा भी सदैव ही रंगभेद नीति का पुरजोंर विरोधी रहा हैं, इसलिए उन्हें यह पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी। पीएम ने यह भी कहा कि इस समय दुनिया को अपने-अपने क्षेत्रों में फैली बुराईयों को दूर करने के लिए टूटू जैसे व्यक्तियों की बहुत अधिक आवश्यकता हैं। ट्रुडो ने अपने शोक संदेश में यह भी कहा कि ईश्वर उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों को सांत्वना प्रदान करें जिससे वे इस दु:ख की घड़ी में स्वयं को संभालते हुए विशेष ध्यान रख सकें जिससे आगामी दिनों में टूटू के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आसानी हो सके और सुगमता से उनके बनाएं नियमों पर सभी आने वाली पीढ़ियों को युगों-युगों तक पाठ पढ़ाया जा सके।
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