श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी क्षेत्र में हुआ 60 फीसदी मतदान
चुनाव के दौरान कहीं से हिंसा की किसी बड़ी घटना की खबर नहीं है. नतीजे रविवार को सामने आ सकते हैं. निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि 715,000 मतदाताओं में से करीब 60 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे 478 मतमणना केंद्रों पर मतगणना आरंभ हो गई है.
निर्वाचन आयुक्त महिंदा देशप्रिय ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए सभी कदम उठाए गए हैं और नतीजे रविवार सुबह छह बजे आ सकते हैं. लिटटे और सेना के बीच लड़ाई के केंद्र रहे इस क्षेत्र में 25 साल के अंतराल में यह पहला चुनाव है जो सेना से लिट्टे की हार के चार साल बाद हो रहा है. दोपहर के समय तक अधिकांश इलाकों में आधे से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
साल 2009 में लिट्टे को मिली हार तक यह क्षेत्र इसी विद्रोही संगठन के प्रभाव में था और युद्धकाल के बाद यह पहला प्रांतीय प्रशासनिक चुनाव है. इसके लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 850 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान आरंभ हुआ.
प्रांत में दो हजार से अधिक स्थानीय और विदेशी चुनाव पर्यवेक्षक तैनात हैं. चुनाव में पांच साल के लिए 36 सदस्यीय उत्तर प्रांतीय परिषद निर्वाचित की जाएगी.
श्रीलंका के उत्तर प्रांतीय परिषद के अधिकारक्षेत्र में जाफना, किलिनोच्चि, मन्नार, मुल्लाइतिवू और वावूनिया जिले होंगे. ये जिले दशकों तक लिट्टे का गढ़ रहे थे.
उत्तर परिषद के चुनावों में लगभग 906 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 1987 में हुए भारत-लंका समझौते से जुड़े 13वें संशोधन के तहत परिषदों को गठित किए जाने के बाद यह पहला चुनाव है.
उत्तर और पूर्वी प्रांतीय परिषद के लिए 1988 में पहली बार हुए चुनाव में केवल एक पार्टी ने हिस्सा लिया था क्योंकि लिट्टे ने पृथक तमिल देश की स्थापना के लिए सशस्त्र अभियान चला रखा था.
चुनाव निगरानी समूहों में से एक ‘द सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इलेक्शन वायलेंस’ (सीएमईवी) ने उत्तर प्रांतीय परिषद के चुनाव में चुनाव प्रक्रिया के प्रति मोहभंग की स्थिति और मतदान केंद्रों के काफी दूर होने की वजह से कम मतदान होने की आशंका जताई थी.
सिंहली बहुल दक्षिणी क्षेत्रों, मध्य और उत्तर पश्चिमी प्रांतों में भी चुनाव हो रहे हैं. राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे ने मुख्य तमिल पार्टी टीएनए पर आरोप लगाया कि वह द्वीप को वापस पृथक्कीकरण की मांग पर धकेलना चाहती है.
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