औटवा। दो वर्ष पूर्व मानवीय चूक के कारण हुए विमान दुर्घटना में पीड़ितों को हर्जाना देने के लिए ईरानी सरकार पर दबाव बनाने के लिए कैनेडा और सहयोगी देश एकजुट होते नजर आ रहे हैं। इस श्रेणी में अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपनी अपील जारी करते हुए कहा कि पूरे मामले के लिए वैश्विक विमानन गठबंधन का भी सहयोग लिया जाएं जिसके लिए उन्होंने पूर्व अमेरिकन पायल चेसली ”सूली” सुलेनबर्ग को नाम लिया हैं।
ज्ञात हो कि सुलेनबर्ग ने लगभग दस वर्ष पूर्व एक दुर्घटनाग्रस्त अमेरिकन प्लेन को जल प्रपात के पास सावधानी से उतारा था जिससे सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई थी। गत 8 जनवरी 2020 को हुई इस भयंकर विमान दुर्घटना में सबसे अधिक कैनेडा के लोग मारे गए थे, जिसके कारण कैनेडियन नागरिकों का निर्णय इसमें अधिक मान्य होगा। कैनेडा के साथ इस मिशन में ब्रिटेन, स्वीडन, अफगानिस्तान और यूक्रेन भी शामिल हैं। नागरिकों की सुरक्षा करने वाली वाशिंगटन की संस्था ने यह स्पष्ट कहा कि सुलेनबर्ग की नियुक्ति इस मामले में एक नया मोड़ लाएंगी और मृतकों के परिजनों को इंसाफ दिलाने में एक सराहनीय कदम अवश्य उठाएंगी, जिससे सभी को उचित न्याय मिल सके।
दुर्घटना के पश्चात यह भी माना जा रहा है कि गत 2020 से अब तक ईरान को विमान सेवाओं में 96 मिलीयन डॉलर के राजस्व का भी नुकसान झेलना पड़ा हैं, जिसका मुख्य कारण कोविड-19 महामारी और पीएस752 की सेवाओं का बंद होना बताया जा रहा हैं। सुलेनबर्ग इस बात पर भी कार्य करेंगे कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संस्था के नियमों का भी उल्लंघन न किया जाएं और पीड़ित नागरिकों को भी न्याय मिल सके। इस मामले में इस बात की भी पुष्टि की गई कि इस दुर्घटना में आतंकी हमला नहीं माना जाएं बल्कि यह एक मानवीय भूल स्वीकारते हुए इसकी भरपाई की जाएं।
कैनेडियन अधिकारी कुंग ने यह भी बताया कि हर्जाने के भुगतान संबंधी विवरण की प्रतियां कैनेडा ने आईसीएओ, अमेरिकन जनरल एसम्बली और मानव अधिकार परिषद् को भी भेजी हैं जिससे इस मामले को विशेष महत्व देते हुए इस विषय पर शीघ्र कार्यवाही हो। गत शनिवार को इस दुर्घटना की दूसरी वर्षगांठ पर सम्मलित हुए मृतकों के अधिकतर परिजनों का यहीं मानना था कि पीड़ित परिजनों को वित्तीय सहायता देना ही इस पीड़ा का सबसे उत्तम उपाय हैं। जिस ईरानी अधिकारी ने यह कार्यवाही की उसे भी दंड के घेरे में लाते हुए सैकड़ों जिंदगियां तबाह करने के लिए उचित कार्यवाही हो यह भी मांग उठाई जा रही हैं।
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