माओवादियों के खौफनाक मंसूबे, मासूमों को थमा रहे हैं बम
लातेहार/रांची -महिला नक्सलियों के यौन शोषण के बाद माओवादियों का एक और चेहरा सामने आया है। माओवादी बचों को बम बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। पुलिस पहले से ही दावा करती रही है कि कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रहे माओवादी 10 से 16 साल के बचों का अपहरण कर उन्हें बम बनाने और इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। अब इसका प्रमाण भी सामने आ गया है। मंगलवार को माओवादियों के कैंप में विस्फोटकों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग ले रहे 10 साल के एक बचे की ब्लास्ट की वजह से मौत हो गई।
पुलिस का कहना है कि मंगलवार को ब्लास्ट में मारा गया परदेसी लोहरा उन सात-आठ बचों में से एक था, जिन्हें कुछ दिन पहले सीपीआई (माओवादी) के कार्यकर्ता लातेहार के हेरहंज थाना के बंदुआ गांव से उठाकर लाए थे। बम प्लांट करने की ट्रेनिंग के दौरान परदेसी की मौत हो गई, जबकि बाकी बचे अभी भी माओवादियों के कब्जे में हैं। पुलिस के मुताबिक, लोहरदगा से भी नक्सली 5 बचों को उठा ले गए हैं।
लातेहार के एसपी माइकल एस. राज ने बताया कि बाकी बचे माओवादियों के कब्जे में हैं और पुलिस उन्हें छुड़ाने की हरसंभव कोशिश कर रही है। एसपी ने कहा कि इस घटना के बाद गरीबों की बात करने वाले माओवादियों का असली चेहरा समाज के सामने आ गया है।
एसपी ने बताया कि मंगलवार को दिलोकन लोहरा को 10 साल के बेटे का शव सौंपने के साथ ही माओवादियों की ओर से इसे चुपचाप दफना देने का निर्देश दिया गया था। माओवादियों के आतंक से भयभीत परिवार वालों ने चुपचाप बचे को दफना भी दिया था। इसी बीच पुलिस को इसकी सूचना मिली। पुलिस गांव पहुंची और कब्र से शव निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के कसते शिकंजे का असर माओवादियों पर दिखने लगा है। इनके कई बड़े नेता जेलों में बंद हैं और राजनीतिक एवं सामाजिक समर्थन में भी कमी आई है। इस वजह से माओवादी कार्यकर्ताओं और हथियारों की कमी से भी जूझ रहे हैं। माओवादी लंबे समय से बचों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन संभवत: पहली बार इसके प्रमाण सामने आए हैं कि मासूमों का इस्तेमाल लड़ाकों के तौर पर किया जा रहा है।
अल कायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठन छोटे-छोटे बचों का अपहरण कर ट्रेनिंग देते हैं। कई अफ्रीकी देशों में भी विद्रोही इस तरह के ट्रेनिंग अभियान चलाते हैं। माओवादी भी अब इसी रास्ते पर चल रहे हैं। झारखंड के एडीजीपी एसएन प्रधान कहते हैं, माओवादियों की क्रूरता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
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