आम नागरिकों द्वारा यौन उत्पीडऩ के आरोपों का मिलीट्री के पास कोई जवाब नहीं
Military has no answer to allegations of sexual harassment by civilians
टोरंटो। रक्षामंत्री अनीता आनंद (Defense Minister Anita Anand) ने गत नवम्बर 2021 में सैन्य पुलिस अधिकारियों पर आम नागरिकों के साथ बुरा व्यवहार करने के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए जारी बयान में यह माना गया कि इस विषय में देश की थल सेना को कोई जानकारी नहीं और न ही वे इसके लिए कोई जवाबदेह है। उन्होंने माना कि राज्यों के आंतरिक भागों में हुई यौन उत्पीडऩ की घटनाओं के लिए स्थानीय पुलिस का दायित्व बनता हैं, न कि बॉर्डर में कार्यरत कैनेडियन सैन्य बल का, इस मामले में अधिक जानकारी देते हुए संबंधित केस के अधिकारी रिटायरड सुप्रीम कोर्ट के जज लूसी आरबोर ने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व कैनेडियन सैन्य बल के कुछ अधिकारियों पर यौनाचार का आरोप लगाने वाली युवती को न्याय अवश्य मिलना चाहिए, परंतु इसके लिए पूरी सैन्य प्रणाली को दोषी नहीं माना जा सकता और न ही वे इसके लिए किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण देंगे।
प्राप्त आंकड़ों का हवाला देते हुए सैन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले एक वर्ष में हमें स्थानीय पुलिस अधिकारियों पर यौन उत्पीडऩ के 57 मामले सामने देखें गए, जिसके लिए कोई भी उचित कार्यवाही नहीं हुई। प्राप्त जानकारी के अनुसार इतनी अधिक सख्ती के पश्चात भी अभी भी दर्जनों मामले लंबित पड़े हैं और सैन्य अधिकारी भी किसी भी दबाव में नहीं दिख रहे, क्योंकि इससे पूर्व किसी भी सैन्य अधिकारी पर इस संबंध में कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई।
इस बारे में अधिक बोलते हुए सैन्य पुलिस बल के प्रवक्ता लेफ्ट. सीएमडीआर. जैमी ब्रेडसॉलीन ने मीडिया को बताया कि इस समय भी इन अधिकारियों के ऊपर कई प्रकार के आपराधिक यौन उत्पीडऩ के मामले चल रहे हैं, जिसके लिए किसी ने भी अभी तक इन अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही की पुष्टि नहीं की हैं। इििसलए रक्षामंत्री ने माना कि जल्द ही केंद्रीय सरकार इन मामलों में पारदर्शिता लाते हुए वास्तविक दोषियों को सजा दिलवाएंगी।
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