वत्स के हाथों में होगी ब्लैकबेरी की कमान
टोरंटो , जब प्रेम वत्स ने अगस्त में ब्लैकबेरी के निदेशक मंडल से इस्तीफा दिया था तभी से अटकलें लगने लगी थीं कि वह मुश्किल में फंसी इस स्मार्टफोन कंपनी के लिए बोली लगाएंगे। निदेशक मंडल से इस्तीफा देने के छह सप्ताह बाद कैनेडा के वॉरेन बफेट कहलाने वाले वत्स ने कंपनी को बचाने की परियोजना पेश कर दी। महज एक साल पहले ही वत्स ने कहा था कि ब्लैकबेरी एक कैनेडा की कारोबारी सफलता की कहानी हैÓ, इसे खरीदना अछा होगा और इसकी बाजार हिस्सेदारी घटने के बावजूद इसे एक बार फिर सफलता के शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन तब से ब्लैकबेरी की हालत और खस्ता ही हुई है और कंपनी को सबसे नया झटका पिछले शुक्रवार को ही लगा है, जब उसने अपने कर्मचारियों की संख्या में एक तिहाई कटौती करने की घोषणा की। कंपनी ने उपभोक्ता बाजार से कदम खींचकर अपनी पारंपरिक विशेषज्ञता कारोबारों और सरकार के लिए काम करने पर जोर देगी। लेकिन ब्लैकबेरी की शीर्ष शेयरधारकों में से एक फेयरफैक्स फाइनैंशियल होल्डिंग के मुख्य कार्याधिकारी वत्स उन लोगों में से हैं जिनकी बातें आज गलत और कल सही लगती हैं। सोमवार को ब्लैकबेरी ने घोषणा की कि वह फेयरफैक्स की अगुआई वाले समूह द्वारा 470 करोड़ डॉलर की अधिग्रहण पेशकश पर सहमति जता दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से कंपनी को दोबारा पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी। एक बीमा होल्डिंग कंपनी के साथ ही फेयरफैक्स वत्स की निवेश कंपनी भी है। 2000 के मध्य में कंपनी की हालत बहुत खस्ता थी और वत्स अमेरिकी ऋण कंपनियों के दिवालिया होने का इंतजार कर रहे थे। 2003 और 2006 के मध्य में कंपनी के शेयर का भाव 50 फीसदी तक घट गया और ऋण डिफॉल्ट खरीदने के कारण उनका मुनाफा भी घट गया जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियां आवासीय परियोजनाओं की बिक्री के बूते तेजी से तरक्की कर रही थीं। लेकिन जब 2007 में बाजार कमजोर होने लगा तो फेयरफैक्स के निवेश पर प्रतिफल भी मिलने लगा और कंपनी ने 2007 और 2008 में अरबों डॉलर का मुनाफा कमाया। अभी तब अन्य निवेशक अपने जख्मों पर मरहम ही लगा रहे थे तब तक वत्स ने शेयर बाजार में निवेश शुरू कर दिया। 2006 में 100 कैनेडा ई डॉलर प्रति शेयर पर चल रहा फेयरफैक्स का भाव अब चार गुना हो चुका है। वत्स का जन्म हैदराबाद में 1950 में हुआ और उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग की है। उन्होंने 1985 में फेयरफैक्स की कमान संभाली और शुरुआती 15 वर्षों में शायद ही उन्होंने कभी किसी पत्रकार से बात की हो। उन्होंने 2001 के बाद से ही संवाददाताओं से बात करनी शुरू की है। आमतौर पर फेयरफैक्स को एक सक्रिय निवेशक के तौर पर नहीं जाना जाता था लेकिन 2006 में वत्स ने हेज फंडों के खिलाफ 600 करोड़ डॉलर का मुकदमा किया था। उन्होंने फंडों पर आरोप लगाया था कि वे उनकी कंपनी खरीदने के लिए उसके शेयरों के भाव गिराने की साजिश कर रहे हैं।
4.7 अरब डॉलर में होगा ब्लैकबेरी का सौदा! एक जमाने में स्मार्टफोन की जंग में सबसे आगे रही मोबाइल कंपनी ब्लैकबेरी बिकने के लिए तैयार हो गई है। कैनेडा की कंपनी ब्लैकबेरी ने फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग के 4.7 अरब डॉलर के खरीदने के ऑफर को मंजूर कर लिया है। सौदे के तहत 9 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से बायबैक होगा। ब्लैकबेरी में पहले से ही फेयरफैक्स की 10 फीसदी हिस्सेदारी है और ये कंपनी का सबसे बड़ा शेयरहोल्डर भी है। ब्लैकबेरी को खरीदने का सौदा करने वाली कंपनी फेयरफैक्स के मालिक प्रेम वत्स हैं जो भारतीय मूल के हैं। इन्हें कैनेडा का वॉरेन बफेट भी कहा जाता है। माना जा रहा है ये सौदा अगले साल नवंबर तक पूरा हो जाएगा। एन्ड्रॉयड और एप्पल से जोरदार टक्कर मिलने के बाद ब्लैकबेरी के मार्केट शेयर में लगातार कमी देखने को मिल रही थी।
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