दागियों को बचाने के लिए लाए अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए: राहुल
नई दिल्ली : संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज दोषी ठहराए गए सांसदों-विधायकों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए लाए जा रहे विवादास्पद अध्यादेश को ‘बिल्कुल बकवास’ करार दिया और कहा कि उनकी सरकार ने जो कुछ किया है, वह गलत है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन के प्रेस क्लब आफ इंडिया में आयोजित ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम के दौरान अचानक थोड़ी देर के लिए आए राहुल गांधी ने कहा कि अध्यादेश को ‘फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए’।
प्रेस से मिलिये कार्यक्रम के दौरान माकन जब संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे उसी बीच उन्होंने कहा कि क्षमा कीजियेगा एक जरूरी फोन आ गया है । वह मंच से उठकर नीचे गये और फोन पर बात की । वापस आकर उन्होंने बताया कि राहुल जी आपके बीच आ रहे हैं । कुछ ही क्षणों के बाद राहुल गांधी तेजी से वहां पहुंचे । कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि यहां आने से पहले उन्होंने माकन से पूछा कि वह क्या कर रहे हैं तो माकन ने बताया कि वह यहां (प्रेस क्लब में) हैं और यहां अध्यादेश के बारे में बात हो रही है । माकन ने अध्यादेश को लेकर राजनीतिक लाइन के बारे में बताया ।
राहुल ने कहा कि अब, मैं आपको यह बताता हूं कि इस अध्यादेश पर मेरा क्या विचार है । यह पूरी तरह बकवास है । इसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए । यह मेरी निजी राय है । राहुल ने कहा कि मेरे संगठन में जो दलील दी गयी है वह यह है कि हमें राजनीतिक सोच विचार के चलते ऐसा करने की जरूरत है । हर कोई ऐसा कर रहा है । कांग्रेस ऐसा करती है, भाजपा ऐसा करती है, समाजवादी पार्टी ऐसा करती है, जदयू ऐसा करता है । उन्होंने कह कि यह समय इस तरह के बकवास को रोकने का है । इस देश में यदि आप भ्रष्टाचार से संघर्ष करना चाहते हैं, चाहे वह कांग्रेस पार्टी हो या भाजपा, हम इस तरह के छोटे छोटे समझौते करना जारी नहीं रख सकते क्योंकि अगर हम इस तरह के छोटे समझौते करेंगे तब हम हर जगह समझौता करेंगे ।
उन्होंने कहा कि मेरी रूची उसमें है कि कांग्रेस पार्टी क्या कर रही है और हमारी सरकार क्या कर रही है । इसलिए जहां तक इस अध्यादेश का सवाल है, हमारी सरकार ने जो कुछ किया है वह गलत है । अपनी बात कह कर राहुल गांधी वहां से चले गये ।
राहुल गांधी के वहां से चले जाने के बाद कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख माकन ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने जो कुछ कहा है वह हमारी पार्टी की राय है ।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा इस अध्यादेश को लेकर कल तीन केन्द्रीय मंत्रियों को बुलाये जाने और इस अध्यादेश की आवश्यकता को लेकर प्रश्न उठाये जाने के एक दिन बाद राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए अध्यादेश का विरोध किया । समझा जाता है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केन्द्रीय मंत्रियों गृह मंत्री, कानून मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री से पूछा है कि अध्यादेश लाने को लेकर जल्दबाजी क्या है जबकि इस मुद्दे पर एक विधेयक संसद में लंबित है ।
केन्द्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को अध्यादेश को मंजूरी देकर इसे स्वीकृति के लिए मुखर्जी के पास भेजा था । मुखर्जी ने इस मुद्दे पर गृह मंत्री एवं लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे, विधि मंत्री कपिल सिब्बल और बाद में संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ को बुलाया।
इस अध्यादेश का उददेश्य उच्चतम न्यायालय के उस फैसले को निष्प्रभावी करना है जिसमें शीर्ष अदालत ने गंभीर अपराधों में दोषी पाये गये सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था। विपक्षी दलों द्वारा इस अध्यादेश के मुद्दे पर विरोध जताये जाने के साथ ही कांग्रेस में भी इस मुद्दे पर असंतोष के स्वर उठने लगे थे ।
राष्ट्रपति के साथ मंत्रियों की बैठक से पहले लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके उनसे अध्यादेश को पुनर्विचार के लिए सरकार के पास भेजने का अनुरोध किया क्योंकि उसके अनुसार यह ‘असंवैधानिक और अनैतिक’ है।
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