इस वर्ष का ड्रामाटिक समर लोगों ने पहले कभी नहीं देखा होगा : मैसॉन मैक्डोनाल्ड
This year's dramatic summer has never been seen before: Mason Macdonald
हैलीफेक्स। डलहौजी यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान व कृषि के सहायक प्रौफेसर मैसॉन मैक्डोनाल्ड ने अपनी ताजा रिपोर्ट में माना कि इस वर्ष जैसी गर्मियां कैनेडा में पड़ रही हैं, वैसी गर्मियां इस देश के इतिहास में कभी नहीं पड़ी। इस वर्ष के आरंभिक महीनों में जहां जंगलों की आग ने लोगों को परेशान किया, वहीं देश के कई ईलाकों में भारी वर्षा ने कैनेडियनस का जीवन तबाह कर दिया।
इस गर्मियों में लोगों ने पेड़ों पर न तो लाल, नारंगी और पीले रंग के पत्तें देखें जा रहे हैं और न ही गर्मियां इस वर्ष की सुहावनी हैं जिसमें कैनेडियन मौसम का पूरा मजा उठाते थे। मैसॉन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नोवा स्कोटिया में जहां गर्मियों में जंगल की आग की बर्बादी देखने को मिली वहीं बसंत में बाढ़ ने लोगों को डऱाया, उन्होंने माना कि कैनेडा पहले से ही जलवायु परिवर्तन की इस प्रकार की घटनाओं से चिंतित रहता था और इसी कारण से कैनेडा हमेशा विश्व के अन्य देशों को जलवायु प्रभावों से बचने के लिए संबंधित उपायों को करने के लिए अग्रसर रहने की अपील करता हैं।
इस वर्ष पेड़ों के पत्ते उतरे खिले रंगों के नहीं, जितने हर वर्ष रहते थे। चिंता की बात यह है कि इस वर्ष रात्रि का समयाकाल कम हो गया हैं और दिन का समयाकाल बढ़ गया हैं, जिससे देश के वातावरण में गर्मी बढ़ रही हैं और शीतलता कम हो रही हैं। इसका सीधा बुरा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा हैं और लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा हैं। मैसॉन ने अगले वर्ष के लिए और अधिक चिंता जताते हुए कहा कि यदि इस वर्ष गर्मी इतनी अधिक रही तो अगले वर्ष इससे भी अधिक बुरा हाल होगा, जिसके कारण अन्य कई प्रकार की संबंधित बीमारियां भी जन्म लेगी, जो मानवजाति के लिए बहुत अधिक दयनीय सिद्ध हो सकती हैं, इसके बचाव के लिए अभी से कार्य करने होंगे नहीं तो भविष्य में यह मौसम न केवल देश के प्राकृतिक साधनों के लिए दुष्कर सिद्ध होंगे अपितु कैनेडियनस के लिए भी अनुचित प्रभाव ड़ालेंगे।
वर्तमान में दुनिया में केवल कैनेडा में ही विभिन्न प्रजातियों के पत्ते पेड़ों पर देखने को मिल रहे हैं और वे भी इस वर्ष उतने चटख रंगों में नहीं होकर मुरझाएं से प्रतीत हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता हैं कि प्राकृतिक साधनों पर अब प्रकृति के दुष्परिणामों का असर साफ दिखाई दे रहा हैं।
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