प्रेम वत्स बुरे वक्त में करते हैं रणनीतिक निवेश

1b0p58Yhbbprem320x116टोरंटो ,ब्लैकबेरी को खरीदने के लिए 4.7 अरब डॉलर की बोली लगाने के बाद सुर्खियों में आए भारतीय मूल के कैनेडाई नागरिक प्रेम वत्स की यह निवेश रणनीति है कि वह किसी उद्यम में तब निवेश करते हैं, जब उसका सितारा गर्दिश में चल रहा होता है।
हैदराबाद में जन्मे और कैनेडा के वारेन बफेट कहलाने वाले 61 वर्षीय प्रेम वत्स की बीमा कंपनी फेयरफैक्स फाइनेंशियल ने ब्लैक बेरी को खरीदने के लिए प्रति शेयर लगभग नौ डॉलर की बोली लगाई है। सोमवार 23 सितंबर (अमेरिकी समय) को इस बोली की घोषणा होने के बाद कंपनी के शेयर कारोबारी सत्र समाप्त होते वक्त अमेरिकी शेयर बाजार नैसडैक में 1.09 फीसदी तेजी के साथ 8.82 डॉलर पर पहुंच गए थे।
इससे पहले शुक्रवार को कंपनी के शेयरों में 17.06 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी और घोषणा के बाद मंगलवार से भी कंपनी के शेयरों में निरंतर गिरावट जारी है। मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ब्लैकबेरी में क्रमश: 3.29 फीसदी, 6.15 फीसदी और 0.69 फीसदी गिरावट देखी गई। गुरुवार को कंपनी के शेयर 7.95 डॉलर पर बंद हुए।
20 जुलाई 2007 को ब्लैकबेरी के शेयर 230.52 डॉलर पर कारोबार कर रहे थे। उसके बाद से इसके शेयरों में निरंतर गिरावट जारी है। ब्लैकबेरी अपनी समकक्ष कंपनियों से प्रतियोगिता में काफी पिछड़ चुकी है।
शेयरों की चाल से ऐसा लगता है कि कंपनी को खरीदने के लिए प्रेम वत्स की प्रतियोगिता में कोई सामने नहीं आया है और इससे यह समझा जा सकता है कि ब्लैकबेरी निवेशकों के लिए कोई आकर्षक सौदा नहीं है, लेकिन हैदराबाद में जन्मे और कैनेडा के धनकुबेर बन बैठे प्रेम वत्स की यही निवेश रणनीति है। वह हमेशा किसी उद्यम में ऐसे वक्त में निवेश करते हैं, जब उसका सबसे बुरा वक्त चल रहा होता है।
टोरंटो की कंपनी फेयरफैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वत्स ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से 1971 में केमिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण पूरा किया था और एमबीए की डिग्री लेने 1972 में कैनेडा चले आए थे। उन्होंने वेस्टर्न ओंटारियो विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री ली।
उन्होंने कनफेडरेशन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में 1974 से 1983 तक कनफेडरेशन लाइफ इनवेस्टमेंट काउंसेल के उपाध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्होंने 1984 में हैंबलिन वत्स इनवेस्टमेंट काउंसेल लिमिटेड की स्थापना की, जो अब फेयरफैस की अधिनस्थ कंपनी है। वत्स ने 1987 में मार्केल फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया और इसे फेयरफैक्स का नया नाम दिया।
प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी वेबसाइट वर्ज के मुताबिक, वत्स का हालांकि बुरे दौर में निवेश करने का इतिहास है, फिर भी उन्होंने कभी इस स्तर का सौदा नहीं किया है और कभी ऐसा सौदा नहीं किया है, जिसके बाद उनकी कंपनी इतनी बड़ी संचालन भूमिका में आ जाएगी।
वत्स हालांकि पहले से ब्लैकबेरी में करीब 10 फीसदी के हिस्सेदार थे और 2012 के शुरू में वह ब्लैकबेरी के बोर्ड में भी शामिल थे, लेकिन कंपनी को खरीदने का विचार आने पर हितों के टकराव के आरोप से बचने के लिए उन्होंने अगस्त के मध्य में बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था।
वर्ज के मुताबिक ब्लैकबेरी को बुरे दौर से बाहर लाने के लिए वत्स को बड़े कदम उठाने होंगे। संभवत: कंपनी का एक बड़ा हिस्सा बेचना पड़े और शायद उपभोक्ता फोन कारोबार को पूरी तरह से बंद करना पड़े।

 

You might also like

Comments are closed.