औटवा। विदेशी हस्तक्षेप मामले पर खुलकर प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने उन लोगों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस प्रकार से देश की महत्वपूर्ण बातें सार्वजनिक करना बहुत गलत हैं। विपक्ष पर निशाना साधते हुए ट्रुडो ने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए विपक्ष पिछले वर्ष से देश के न्यायालयों को भी भ्रमित कर रहा हैं, केवल चर्चाओं को सनसनीखेज बनाने के लिए वे विदेशी हस्तक्षेप का मामला बार-बार उठाते रहे हैं, बुधवार को इस संबंध में दिए अपने हस्तक्षेप में प्रधानमंत्री ने माना कि पिछले दोनों आम चुनाव पूर्ण रुप से निष्पक्ष और जनता के दिए वोटों के आधार परी हुए हैं, उनमें किसी भी प्रकार से विदेशी हस्तक्षेप की कोई भी बात स्वीकार्य नहीं हैं।
इस संबंध में आयोजित सुनवाई में बोलते हुए उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि देश की महत्वपूर्ण बातों का बाहर जाना अनुचित हैं और इसका नुकसान अगामी पीढिय़ों को भी उठाना पड़ सकता हैं। जिसके लिए सभी सतर्क रहें। वैश्विक स्थितियों का हवाला देते हुए उन्होंने माना कि बिना किसी ठोस सबूत के इस प्रकार से कैनेडियनस की भावनाओं को निशाना बनाना पूर्ण रुप से गलत हैं इसे रोकना होगा। ज्ञात हो कि वहीं अभी हाल ही में संसदीय प्रमुख करीना गाउल्ड ने बताया कि वर्तमान में वह मातृत्व अवकाश पर हैं, नहीं तो इस मामले की जांच प्रमाण अभी तक आ जाती हैं।
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इसके अलावा कमीश्नर ने भी माना था कि गत चुनावों में अवश्य गड़बड़ी हुई थी, जिसके कारण ये जांच रखी गई हैं। असल में हुआ ये कि बीते कुछ समय से ट्रुडो के खिलाफ उनके अपने ही देश में हवा बन रही हैं, उनके काम के तौर-तरीकों पर सवाल होती रहा, साथ ही विपक्ष को ये संदेह भी है कि उनके चीन के साथ संबंध देश को गलत दिशा में ले जाएंगे। विपक्ष में इन्हीं आरोपों का जवाब देने के लिए ट्रुडो को कमेटी बनानी पड़ी। इसके सदस्य जांच करेंगे कि चीन, रुस, भारत या दूसरे किसी भी देश ने कैनेडियन चुनावों पर कितना असर डाला हैं, ये जांच साल 2019 ओर 2021 के इलेक्शन पर होगी।
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कैनेडा का चुनाव पारदर्शी रहा हो या नहीं, इसकी पड़ताल होती रहेगी। लेकिन ये बात जरुर है कि बहुत से देश अपने पड़ोसियों या दुश्मन देशों के चुनाव में दखल देते रहे। इसमें सबसे ऊपर अमेरिका रहा। एक समाचार के अनुसार साल 1946 से लेकर 2000 के भीतर देशों में कुल 939 इलेक्शन हुए, इसमें से अमेरिका में कई चुनावों में विदेशी ताकतों द्वारा हस्तक्षेप की बात को माना गया था, लेकिन इस संबंध में अभी तक उचित साक्ष्य नहीं मिलने के कारण किसी भी देश पर आरोप की पुष्टि नहीं हो पाई थी।
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