क्यूबेक। क्यूबेक के मंत्री जीन – फ्रान्सकोईस रोबर्ज ने रविवार को दिए अपने बयान में कहा कि फ्रेन्च भाषा के प्रोत्साहन हेतु 603 मिलीयन डॉलर की कार्य योजना तैयार की हैं, जिसे आगामी पांच वर्षों में लागू किया जाएंगा। सरकारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इसके लिए नौ प्राथमिकताओं को भी शामिल किया गया हैं, जिससे इस भाषा को और अच्छी प्रकार से प्रोत्साहित किया जा सके।
जानकारों के अनुसार यह भी माना जा रहा है कि इस भाषा के प्रोत्साहन हेतु इसकी शिक्षा लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को और अधिक आकर्षक सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे पूरी दुनिया में इस भाषा को पढऩे वाले छात्र अधिक से अधिक संख्या में कैनेडा में आवास करें और फ्रेन्च भाषा को सीखकर अपने कौशल को और अधिक अग्रसर कर सके। रॉबर्ज ने यह भी माना कि गत कुछ सालों में फ्रेन्च भाषा का पतन तेजी से हो रहा हैं, जिसका मूल कारण इसके प्रति लोगों में जागरुकता की कमी को बताया जा रहा हैं, कैनेडा में भी फ्रेन्च के प्रति अधिक उदासीनता देखने को मिल रही हैं, यह एक प्रकार का अपराध हैं, जहां अपने ही देश की मूल भाषा के प्रति स्थानीय लोग अधिक उत्साहित नहीं।
नई योजना के अनुसार अभी भी गैर-कैनेडियन इस भाषा के प्रति अधिक रुचि दिखाते हुए इसे सीखने के लिए कोचिंग आदि लेते हैं, आंकड़ों के अनुसार 30 प्रतिशत की प्रवासी जनसंख्या फ्रेन्च सीखने के लिए कैनेडा में स्थाई आवास कर रही हैं, जानकारों का भी मानना है कि फ्रेन्च भाषा के जानने वालों को देश में आसानी से काम उपलब्ध करवाया जा रहा हैं, जिससे देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखा जा रहा हैं, लेकिन दूसरी ओर देश में गैर-फ्रेन्च भाषा बोलने वालों की संख्या बढ़ रही हैं, जिसके कारण फ्रेन्च भाषा का महत्व दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा हैं और यहां की मूल भाषा के जानने वालों की संख्या भी कम होती जा रही हैं।
इस परिस्थिति को समझते हुए क्यूबेक सरकार ने आगामी पंच वर्षीय योजना तैयार की हैं और इसके लिए सबसे पहले चरण में 603 मिलीयन डॉलर का अनुदान पारित किया गया गया हैं, जिसका निवेश अगले पांच वर्षों में पूर्ण किया जाएंगा। इसके अलावा उनकी सरकार ने पारित बजट में भी इसके लिए विशेष वित्तीय भाग घोषित किया हैं, जिससे फ्रेन्च भाषा के प्रोत्साहन के साथ-साथ देश की भाषा को भी आगे बढ़ाया जा सके। आंकड़ों में यह भी बताया गया कि देश की कुल जनसंख्या के अनुसार वर्ष 2016 की तुलना में 2021 तक फ्रेन्च बोलने वालों की संख्या में भारी कमी आई हैं, जिसे जल्द ही रोका नहीं गया तो यह भविष्य में और अधिक असंतुलित होगी और इससे इसके अस्तित्व पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
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