ओंटेरियो। जानकारों के अनुसार एक बार फिर से ओंटेरियो सरकार राज्य की नॉन-एल्कोहल पेय कंपनियों के दबाव में चल रही हैं, मामला हैं सॉफ्ट ड्रिंक्स के कैनों व बोतलों का उचित प्रकार से रिसाईकल करना। जिसके लिए सरकार को अब भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। वहीं सरकार का दावां है कि संबंधित कंपनियों ने उनका निवेश वापस आएं, लेकिन इन कैनों व बोतलों के डिस्पॉजल में ही कंपनियों का इतना धन खर्च हो रहा हैं जिससे वे सरकार को लाभ रिर्टन नहीं कर पा रहे। ज्ञात हो कि राज्य सरकार की इस योजना से पहले ही देश के अन्य आठ राज्यों ने अपने हाथ खींच लिए हैं।
ज्ञात हो कि जून 2023 में ही इस अभियान की शुरुआत कर दी गई थी, जिसके संबंध में अधिक जानकारी देते हुए राज्य के पर्यावरण मंत्री डेविड पीकीनी ने कहा कि इस बारे में ऐसे अभियान को चलाने के लिए एक कार्यकारी समूह की भी स्थापना की गई हैं। यह वर्किंग ग्रुप विभिन्न पेय पदार्थों के रिटेल वेस्ट के प्रबंधन पर कार्य करता हैं। जिसमें केवल यह ग्रुप ही नहीं पर्यावरण स्टेकहोल्डरस और राज्य के अधिकारी भी कार्य कर रहे हैं। लेकिन कंपनियों का मानना है कि जिस प्रकार सरकार एलसीबीओ को प्रोत्साहित करते हुए वित्तिय सहयोग की घोषणा करती हैं, उसी प्रकार से उन्हें हमारी भी मदद करनी चाहिए। सरकार के यू-टर्न पर नाराज पेय कंपनियां, बेवरेज उद्योग का कहना है कि पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर उनके साथ बहुत अधिक उदासीन रवैया अपनाया जा रहा हैं, जिसके लिए वे आवाज उठाएंगे। इससे संबंधित उद्योग को और अधिक नुकसान पहुंच सकता हैं।
गौरतलब है कि दुनिया को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कैनेडा में जारी प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी) की चौथे दौर की वार्ता मंगलवार को बेनतीजा ही खत्म हो गई। प्लास्टिक उत्पादन में कटौती को लेकर दुनिया के ज्यादातर देशों में सहमति नहीं बनने के चलते यह वार्ता तय कार्यक्रम से एक दिन ज्यादा चलने के बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
हालांकि, दुनिया के 75 से ज्यादा देश 25 नवंबर से दक्षिण कोरिया के बुसान में होने वाली पांचवीं और अंतिम दौर की वार्ता से पहले प्लास्टिक उत्पादों में खतरनाक रसायनों की पहचान, प्लास्टिक को फिर से डिजाइन करने, पैकेजिंग, और प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के प्रयासों के वित्तपोषण जैसे विषयों पर तकनीकी कार्य को जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं। प्लास्टिक उत्पादन घटाने पर चर्चा जारी रहेगी।
वार्ताकार ने कहा कि उत्पादन को लक्षित करने के प्रयासों को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर सऊदी अरब और चीन जैसे बड़े पेट्रोकेमिकल उत्पादक देशों के साथ-साथ उद्योग जगत भी इसका विरोध कर रहा है। जबकि, विज्ञान कहता है कि अगर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है, तो उत्पादन को सीमित करना होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रगति तभी संभव है, जब गैर-विवादास्पद विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। मसलन, कम प्लास्टिक का उपयोग करने या अधिक आसानी से इसे पुनर्चक्रण योग्य बनाने और प्लास्टिक उत्पादों को फिर से डिजाइन करने पर बात करनी चाहिए।
2015 में तय किया गया कि जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी को बचाने के लिए ग्रह का औसत तापमान पूर्वा औद्योगिक काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढऩे देना है। इसके लिए 2017 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने इसे ध्यान में रखकर दुनिया से प्लास्टिक प्रदूषण दूर करने पर सलाह देने के लिए एक विशेषज्ञ समूह बनाया। इस समूह ने दुनिया से धीरे-धीरे प्लास्टिक को खत्म करने की योजनाएं पेश कीं। 2019 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने दुनिया को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने पर काम जारी रखने का फैसला किया। इस संबंध में कानूनी समझौते की पहल भी की गई।
वैश्विक प्लास्टिक उद्योग दुनिया की वजह से दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा में बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। एक तरफ जहां प्लास्टिक उत्पादन सालाना 2.5 अरब टन कार्बन उत्सर्जन और 22 करोड़ टन कचरा पैदा कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ प्लास्टिक प्रदूषण समुद्रों की गर्मी बढ़ा रहा है, जिससे समग्र रूप से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। अंतर सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी) के पर्यवेक्षकों ने वैश्विक संधि की भाषा पर किए गए विचार विमर्श को स्वागतयोग्य कदम बताया है। इसके साथ समिति ने रेखांकित किया है कि सबसे विवादास्पद विचार प्लास्टिक उत्पादन को सीमित करना है। बातचीत के पांचवें दौर में इस पर सहमति की उम्मीद जताई है।
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