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टोरंटो। सोमवार को केंद्रीय श्रममंत्री स्टीवन मैक्कीनॉन संबंधित प्रतिनिधियों के साथ देश की दो बड़ी रेल यूनियनों के साथ हड़ताल को रोकने के लिए गहन चर्चा की, जिसमें यह माना गया कि इस माह से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने वाली यूनियनें समझौता करने का मन बनाएं, क्योंकि यह हड़ताल किसी के लिए भी लाभदायक नहीं हैं।
इस चर्चा में श्रममंत्री के साथ-साथ कई सरकारी अधिकारियों ने कैनेडियन नेशनल रेलवे, कैनेडियन पैसेफिक केनसास सिटी (सीपीकेसी) और टीमेस्टरस कैनेडा के संबंधित कर्मचारियों से बातचीत की और मामले की मूल आवश्यकताओं को समझने का प्रयास किया, ज्ञात हो कि इस यूनियन में 9300 कर्मचारियों के शामिल होने की पुष्टि की गई हैं।
श्रममंत्री ने भी अपने संबोधन में कहा,”जब से मैं इस पद पर आया हूं, तभी से मुझे इस अनुबंध की खामियों को लेकर समस्याएं हैं, इसलिए मैं स्वयं इसमें संशोधन के लिए प्रयासरत हूं, जल्द ही इस संबंध में उचित कदम उठाएं जाएंगे।” सूत्रों के अनुसार सीएन, सीपीकेसी के यूनियन कर्मचारियों ने इस माह से हड़ताल पर जाने के पक्ष में मतदान देकर पुष्टि कर दी थी, जिसके बाद से ही केंद्र सरकार इस हड़ताल को टालने के लिए प्रयासों में जुट गई थी, यह भी माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही अपनी कोशिशों में सफल होगी और इस हड़ताल को रोकने के लिए मौजूदा परिस्थितियों को समझने के लिए कार्य करेंगी।
मैक्कीनॉन ने यह भी कहा कि मुझे यह बताने की आवश्यकता नहीं कि इस समय देश किन आर्थिक जोखिमों के मध्य गुजर रहा हैं। इसलिए हमें ऐसी योजना बनानी होगी जिससे आम कैनेडियन को भी यातायात संबंधी कोई परेशानी न हो और इन कर्मचारियों की मांगे भी पूरी हो सके। हमें वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आपसी सहयोग से योजनाएं बनानी होगी जिससे सभी को लाभ मिल सके। कार्य रोकना किसी भी समस्या का हल नहीं, हड़ताल का सबसे बुरा असर कर्मचारियों और आम कैनेडियन के स्वास्थ्य व सुरक्षा पर भी पड़ेगा, जिसके लिए केंद्र सरकार कभी भी तैयार नहीं होगी।
इस विषय पर फ्रेट मैनेजमेंट एसोसिएशन ऑफ कैनेडा के अध्यक्ष जॉन कोरे ने भी मीडिया को बताया कि यदि यह हड़ताल होती हैं तो इससे व्यापार पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा, वहीं कुछ शिपरस ने पहले से ही अपने आवा-गमन संबंधी मार्गों में परिवर्तन की योजनाएं बनानी आरंभ कर दी हैं, जिससे हड़ताल के कारण उन्हें परेशानी नहीं उठानी पड़े। उनका यह भी कहना है कि यह हड़ताल नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे आम जनता अधिक प्रभावित होगी।
अन्य जानकारों का भी कहना है कि यह बहुत अधिक कठिन समय चल रहा हैं, जब कंपनी के कर्मचारियों द्वारा अपनी वित्तीय सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ी जा रही हैं तो दूसरी ओर सरकारी वित्त दबाव के कारण अधिक आर्थिक घोषणाएं भी नहीं की जा सकती। सभी का यह मानना है कि इस परिस्थिति को समझते हुए मामले को निपटाना ही सबसे अच्छा कार्य होगा।
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