मिसिसॉगा। अपने ताजा लेख में जॉन स्टेवार्ट ने माना कि इन दिनों देश की हरियाली विकास की भेंट चढ़ रही हैं, उन्होंने कहा कि जब भी हम हरे-भरे स्थानों की बात करते उनके दिमाग में वीनी-द पू और द साऊथ कॉमन कम्युनिटी सेंटर का नाम सबसे आगे आता, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां हरियाली गायब होकर केवल पत्थर की इमारतें ही रह गई हैं, हर तरफ केवल सीमेंट कंक्रीट की इमारतें दिख रही हैं, इसलिए आज का इंसान इतनी जल्द थक जाता हैं और हर समय अपने इच्छाओं की भूख से परेशान रहता हैं।
आज के इंसान की लकड़ी की भूख कभी समाप्त ही नहीं हो पा रही, ईरीन मिल्स की बात कहीं जाएं तो वहां गत 17 जून को स्थापित लाईब्रेरी को पूर्ण रुप से नष्ट कर दिया और अब इसे पुन: निर्माण कर वर्ष 2027 में दोबारा से खोला जाएंगा। एक स्थानीय नागरिक डेनियल राममूसॉन ने बताया कि इस नई परियोजना कार्य के लिए लगभग इस स्थान से 31 पेड़ काट दिए गए, इसका अर्थ यह हुआ कि नवनिर्माण के लिए 40 प्रतिशत की लकड़ी का नुकसान किया गया।
इस कार्यवाही को रोकने के लिए रासमुसन ने गत 31 जुलाई को एक याचिका दाखिल करवाई जिसमें पहले ही दिन 62 लोगो ने अपने हस्ताक्षर कर प्रकृति की इस विनाशलीला पर रोक लगाने की मांग की । उन्होंने अपनी याचिका में यह भी कहा कि यदि वृक्ष हमारे लिए इतने अधिक महत्वपूर्ण हैं तो हम इसके लिए कोई भी कुर्बानी क्यों नहीं कर सकते, जिसमें उन विकास कार्यो को रोकना भी शामिल हैं, जिसके कारण पेड़ों को नुकसान पहुंचे या उन्हें भारी संख्या में काटना पड़े। उनका यह भी मानना है कि मिसिसॉगा को गत वर्ष पूर्व तक ‘ए ट्री सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ के नाम से संबोधित किया जाता था, लेकिन विकास के नाम पर यहां भी बहुत अधिक संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा हैें। उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसी योजनाओं को अपनाना चाहिए जिससे पेड़ो की सुरक्षा और उन्नति हो सके, इसके लिए संबंधित योजनाओं को प्रोत्साहित करना होगा।
रासमुसॉन ने अपने संदेश में यह भी कहा कि आज हमें कुछ पल ठहरकर सांस लेने की आवश्यकता हैं, तभी हम प्रकृति का महत्व समझ सकते हैं। उन्होंने अपने वाक्य में दुर्भाग्यवश शब्द का बार-बार इसलिए प्रयोग किया क्योंकि ेवे लोगों को समझाना चाहते है कि हम जिस दिशा में जा रहे हैं, वह बहुत अनुचित हैं, इसे रोकना होगा। वहीं माहोनी ने इस रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि कुछ स्थानों पर पर्यावरण संतुलन के कार्य हो रहे हैं, लेकिन उसमें इतनी अधिक उदासीनता देखी जा रही हैं, जिससे उसे करने वालों को बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ रही हैं।
पिछले दिनों एक स्थान पर से 300 पौधों का रोपण सुनिश्चित किया गय, लेकिन इसमें से प्रत्येक 31 में से छ: पौधे मरे हुए हैं जिनके रोपण करनो का कोई भी लाभ नहीं। उन्होंने यह भी माना कि यदि आप 100 मिलीयन डॉलर का एक कम्युनिटी सेंटर बनाते हैं, जो आपके लिए एक बड़ी चुनौती हैं, लेकिन इसकी और अधिक सुंदरता के लिए अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण भी आवश्यक हैं।
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