Ontario News : ओंटेरियो। गत शनिार को एक बार फिर से केंद्र सरकार ने अपने पूर्वजों के द्वारा की गई भारी भूल के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी और इस विवाद को हल कर लिया। ज्ञात हो कि 18 शताब्दी के मध्य वर्ष 1950 से 1960 के दशक में सैकड़ों डॉग्स को एक विशेष प्रकार की बीमारी होने की बात को स्वीकारते हुए मौत के घाट उतार दिया गया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस बारे में सार्वजनिक घोषणा करते हुए यह सुनिश्चित किया कि वर्ष 1950 से 1960 के मध्य केंद्र सरकार ने नुनावीक के कुत्तों से छुटकारा पाने के लिए एक गंभीर आदेश पारित किया जिसमें इन कुत्तों को मौत के घाट उतारने की बात को सुनिश्चित किया गया था।
गत शुक्रवार को आयोजित एक बैठक में केंद्रीय आदिवासी संपर्क मंत्री गैरी आनंदसंग्री ने मीडिया को बताया कि लगभग 75 वर्ष की गई यह घटना वास्तव में विचारणीय थी, इसके लिए सरकार ने विचार करते हुए कहा कि उत्तरी क्यूबेक के इस प्रांत में गत वर्षों में हुई यह अमानवीय घटना बहुत अधिक कमजोरी को व्यक्त कर रही हैं। गैरी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार हमेशा से ही आदिवासी विकास कार्यों की पुरजोर प्रशंसक रही हैं, इसलिए अब पुराने विवादों को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को कार्यन्वित करने की मंशा जाहिर की।
ज्ञात हो कि जानकारों के अनुसार संबंधित संस्था ने उस समय इन कुत्तों को केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया था क्योंकि नूनावीक के निवासियों को उस समय सरकार ने यह आदेश जारी किए थे कि जिन मालिकों के पास परिवहन के साधन नहीं हैं और जो लोग अपनी जीविका शिकार, ट्रैपींग और ईरॉडींग के माध्यम से प्राप्त कर रहे हैं, वे अपने कुत्तों को मार दें इस बारे में वर्ष 2020 में जीन-जैक्स क्रॉटीयू की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया और कहा कि उस समय इन बेजुबान पशुओं की सुरक्षा के स्थान पर इनकी देखभाल के नाम पर इन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।
उन्होंने यह भी माना कि उस समय की केंद्र सरकार और नागरिक सेवाओं में लगे कर्मचारी इन हत्याओं को रोकने में असमर्थ थे, इसलिए हमारे द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान सरकार को इस मामले में उचित क्षमाप्रार्थना करनी होगी। मंत्री ने यह भी कहा कि इस क्षमा याचना सभा का विशेष आयोजन किया गया हैं, जिससे आगामी दिनों में संबंधित समुदाय को अपने विश्वास में रखा जाएं।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में भी क्यूबेक प्रीमियर जीन चारेस्ट ने इस संबंध में एक सार्वजनिक माफी कार्यक्रम का आयोजन कर आदिवासी समुदायों के उत्थान की बात को स्वीकार किया था। वर्ष 2019 में भी केंद्र सरकार ने इस मामले में आरसीएमपी की भूमिका को संदिग्ध बताया था उनका मानना हैं कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए पूर्व योजना कुछ नहीं होती और समय पर उत्पन्न स्थितियो के अनुसार निर्णय लिया जाता हैं, जिसके लिए उस समय फैली कुत्तों की बीमारियों से बचने के लिए प्रांत के सैकड़ों कुत्तों को गोली से भून दिया गया था। जबकि यदि उनका उचित उपचार किया होता तो इस प्रकार से सार्वजनिक माफी नहीं मांगनी पड़ती।